अगहन मास के पहले गुरुवार को हुई मां लक्ष्मी की पूजा
कोरबा। अगहन का पहला गुरुवार 21 नवंबर को पड़ा। घरों में गृहणियों ने धन की देवी मां लक्ष्मी की अगवानी की। विधि विधान से पूजा अर्चना की। इसके लिए बुधवार को ही तैयारियां पूरी कर ली गई थी। कार्तिक महीने के बाद अगहन में पडऩे वाले गुरुवार का लक्ष्मी पूजा की दृष्टि से विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी सुबह-सुबह भ्रमण के लिए निकलती हैं और जिस घर का वातावरण स्वच्छ रहता है, वहां प्रवेश कर जाती हैं। इसी मान्यता के चलते बुधवार की रात तक गृहिणियां दीवार व घर-आंगन में चावल आटे के लेपन से लक्ष्मी पांव व चौक बनाने में जुटी रहीं। गुरूवार को सिंदूर, हल्दी व पीला चावल अर्पित किया गया। तडक़े उठकर स्नान करने के बाद लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की गई और मौसमी फलों का भोग लगाया गया। सुहागन महिलाओं ने अखंड सुहाग व परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा। अविवाहित युवतियों ने विवाह की कामना से उपवास किया। पंडितों के अनुसार अगहन के गुरुवार से जुड़ी कई किवदंतियां हैं। पहले गुरुवार से पुण्य कार्यों की शुरुआत करना श्रेयस्कर माना जाता है। पहले धान की कटाई भी इसी दिन से शुरू की जाती थी।
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इस बार अगहन के चार गुरुवार
इस बार अगहन के चार गुरूवार पड़ेंगे। ऐसा इसलिए हो रहा है कि इस बार अगहन का छठवां दिन बाद गुरूवार पड़ रहा है। इसलिए अगहन में चार गुरूवार पड़ेंगे। कई बार शुरू में ही गुरुवार पडऩे से पांच गुरुवार पड़ते है। अगहन गुरूवार पर मां लक्ष्मी की पूजा ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में पहले की तरह ही निरंतर बनी हुई है। इस बार अगहन में चार गुरुवार पड़ रहे हैं। 21 नवंबर के बाद 28 नवंबर, 5 दिसंबर, 12 दिसंबर को लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इनमें से दो गुरुवार कृष्ण पक्ष व दो शुक्ल पक्ष में पड़ेंगे।