एजुकेशन विजिट ने डेढ़ साल से बिछड़े बेटे को परिवार से मिलवाया, लापता हुआ बेटा मिला तो फफक पड़ी मां
कोरबा। जिले में एक ऐसा भावुक पल देखने को मिला, जब डेढ़ साल पहले घर से लापता हुआ बेटा अपनी मां से मिला। दोनों को गले लगते देख वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। यह हृदयस्पर्शी मिलन शहर के अपना घर सेवा आश्रम और एक कॉलेज के छात्रों की बदौलत संभव हुआ। जिनकी एक एजुकेशन विजिट ने एक मां को उसके बिछड़े बेटे को मिलाया। करतला थाना क्षेत्र के कोटमेर गांव के निवासी परदेशी महंत (25) मानसिक अस्वस्थता के कारण करीब डेढ़ साल पहले जनवरी 2024 में अपने घर से लापता हो गए थे। परिजनों ने करीब एक साल तक उनकी बहुत तलाश की, लेकिन कोई सुराग न मिलने पर उन्होंने उनके जीवित होने की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्हें लगा कि परदेशी अब इस दुनिया में नहीं है। परदेशी महंत भटकते हुए कोरबा शहर के घंटाघर क्षेत्र तक पहुंच गए थे। 18 जनवरी 2024 को सिविल लाइन थाना क्षेत्र की डायल 112 टीम ने उन्हें असहाय स्थिति में देखकर छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी द्वारा शहर में संचालित अपना घर सेवा आश्रम पहुंचाया। संस्था ने परदेशी को अपने संरक्षण में लिया और उनकी देखभाल शुरू की। उनका लगातार इलाज सेंदरी (बिलासपुर) स्थित मेंटल हॉस्पिटल में कराया गया, जिससे उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगा. हालांकि अपनी मानसिक स्थिति के कारण वह अपने घर का सही पता नहीं बता पाते थे। संस्था ने अपने स्तर पर भी उनके परिजनों को खोजने का काफी प्रयास किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इसी बीच बीते गुरुवार को करतला क्षेत्र के एक महाविद्यालय के छात्रों का दल एजुकेशन विजिट के लिए अपना घर सेवा आश्रम पहुंचा। आश्रम का भ्रमण करते हुए जब एक छात्र की नजर परदेशी पर पड़ी, तो उसने देखते ही उन्हें पहचान लिया। वह छात्र परदेशी के ही गांव का रहने वाला निकला। छात्र ने तुरंत संस्था के कार्यकर्ताओं को परदेशी के संबंध में जानकारी दी। इसके बाद संस्था ने गांव के सरपंच को सूचित किया और मोबाइल पर परदेशी की फोटो भेजकर उनकी पहचान की पुष्टि की गई। खबर मिलते ही गांव में खुशी का माहौल छा गया। जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार को परदेशी की मां दुलारी बाई अपने रिश्तेदारों के साथ बेटे को लेने सेवा आश्रम पहुंचीं। जैसे ही मां और बेटे ने एक-दूसरे को देखा, वे भावनाओं में बह गए। मां दुलारी बाई ने बेटे को गले लगा लिया और दोनों लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगे। यह डेढ़ साल का बिछड़ाव और फिर अचानक मिलने का दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद परिवार के अन्य सदस्यों और आश्रम के कर्मचारियों की आंखों में भी आंसू छलक आए।
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