कुसमुंडा खदान से प्रभावितों को वर्षों से नौकरी का इंतजार, वर्ष 1978 से 2004 के बीच अर्जित ग्रामों के पुराने लंबित रोजगार प्रकरण के निराकरण की मांग
कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना से प्रभावितों को अब तक रोजगार प्रदान नहीं किया गया है। रोजगार के इंतजार में जमीन देने वाले बूढ़े हो चले हैं। लगातार हो रहे आंदोलन के बाद भी नौकरी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। जिसे लेकर प्रभावित होने मामले में कलेक्टर से शिकायत की है। इस संबंध में भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि विभिन्न ग्रामों के भूविस्थात किसान पिछले 657 दिनो से एसईसीएल कुसमुण्डा कार्यालय के सामने पुराने लंबित रोजगार की प्रकरण को लेकर अनिशित कालीन धरने पर बैठे हुए है। उनके पूर्वजों द्वारा अपनी भूमि राष्ट्रहीत में कोयला उत्खनन हेतु पूर्व में दिया गया था। उस समय उनको रोजगार एवं अन्य सुविधा नहीं दिया गया। पिता एवं दादा परदादा की भूमि पर वर्ष 1994 से आज तक एसईसीएल द्वारा रोजगार नामांकन फार्म भरवाया गया। उसके बाद उनके द्वारा सभी भू विस्थापितों का सत्यापन जाँच कई बार कराया गया। राज्य शासन द्वारा विस्थापितों को रोजगार हेतु पात्र कर दिया गया। उसके बाद भी आज पर्यन्त तक एसईसीएल द्वारा उन्हें रोजगार प्रदान नही किया जा रहा है। उनके द्वारा नियम एवं शर्तों का हवाला देकर विस्थापितों को दर- दर की ठोकर खाने मजबूर कर दिया गया है। अर्जन के बाद जन्म कहकर रोजगार के लिए गुमराह किया जा रहा है। जबकि खुद एसईसीएल कुसमुण्डा प्रबंधक द्वारा सन् 2014 तक 11 एवं एसईसीएल दीपका द्वारा सन् 2019 में कृष्ण कुमार को रोजगार दिया गया है। जिला पुर्नवास समिति के बैठक में हर बार कलेक्टर द्वारा यह कहा गया है कि अर्जन के बाद जन्म लेने वाले को रोजगार दिया जाए।जिसमें एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा सहमति दिया गया है। कई बार खदान बंदी, भूखहड़ताल, अर्धनग्न प्रदर्शन कार्यालय तालाबंदी तक किया जा चुका है। उसके बावजूद पुराने प्रकरणो पर जल्द कार्यावाही नही किया जा रहा है। भू विस्थापितों की उम्र 40 से 50 तक पहुंच चुकी है। आधे से ज्यादा भूविस्थापित उम्र दराज हो चुके हैं।