जंगली जानवरों के दहशत के साए में हो रही पुलिसिंग, 7 साल बाद भी नहीं बन पाया थाने का बाउंड्रीवाल
कोरबा। पुलिस की दहशत अपराधियों में होती है। पुलिस का नाम ही सुनकर अच्छे अच्छे कांप जाते हैं। मगर कोरबा में एक ऐसा भी थाना है जहां खाकी ही दहशत के साए में कर्तव्य निर्वहन को मजबूर हैं। जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिस अगर खुद ही डरी हुई हो तो क्या होगा। कोरबा जिले के श्यांग थाने में ऐसी अजीबोगरीब स्थिति है। रात तो दूर, दिन में भी पुलिसकर्मियों में खौफ का माहौल रहता है। जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच स्थित श्यांग थाना है। यहां पदस्थ पुलिस के अधिकारी– कर्मचारी खौफ में रहते हैं। अपराधियों से नहीं, बल्कि जंगली जानवरों से। पुलिस स्टेशन के शुरुआत होने के 7 साल बाद भी बाउंड्रीवाल नहीं बनाया गया। हाथी, भालू और अन्य जानवर परिसर तक पहुंच जाते हैं।श्यांग समेत 27 गांव इस थाने के अतंर्गत आते हैं। इस इलाके में आज भी विकास की गाड़ी नहीं पहुंच पाई है। जिसका सीधा असर इस थाने में दिखता है। कच्ची सडक़, वायरलेस नेटवर्क का अभाव और पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ये पुलिसकर्मी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गांव पर आश्रित हैं। ऐसे में ग्रामीणों की सुरक्षा कैसे होगी, ये बड़ा सवाल है।
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रात्रि गश्त नहीं खतरे से खाली
थाने में 8 सिपाही, दो हेडकॉस्टेबल और थाना प्रभारी की तैनाती है। इलाके में क्राइम रेट कम है। साल 2024 में अब तक महज 38 आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं। मगर जंगली जानवरों का ऐसा खौफ है कि रात को गश्त करना चुनौती है। बावजूद इसके जान की परवाह किए बगैर पुलिसकर्मी ड्यूटी कर रहे है। रात में गश्त करना खतरे से खाली नहीं है।