डिमांड पूरा करने फुल लोड पर चल रही इकाईयां,जनरेशन कंपनी के संयंत्रों से अधिकतम 2500 मेगावाट उत्पादन
कोरबा। उत्पादन कंपनी की क्षमता 2840 मेगावाट की है। प्रदेश में बिजली की अधिकतम डिमांड 4800 मेगावाट तक पहुंची। उत्पादन कंपनी के एचटीपीपी, डीएसपीएम व मड़वा पॉवर प्लांट की इकाईयों को फुल लोड पर चलाकर 2500 मेगावाट तक अधिकतम बिजली उत्पादन किया गया। जुलाई में एचटीपीपी व डीएसपीएम पॉवर प्लांट की इकाईयों से बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ। तकनीकी खराबी की वजह से इकाईयों को बंद करनी पड़ी। इस दौरान सेंट्रल सेक्टर की महंगी बिजली पर निर्भरता बढ़ गई थी। ओवरड्रॉल बिजली लेकर भी मांग के अनुरूप आपूर्ति को बरकरार रखना पड़ा। अब तीनों संयंत्रों की सभी इकाईयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। 2840 मेगावाट क्षमता के उत्पादन कंपनी ने सोमवार को 2500 मेगावाट तक अधिकतम बिजली उत्पादन किया। बांगो हाइडल प्लांट की दो यूनिट से भी बिजली बनाई गई। उत्पादन कंपनी के संयंत्रों के परिचालन से 2200 मेगावाट अधिकतम उत्पादन है। दोपहर में तेज धूप की वजह से बढ़ी उमस के कारण 4500 मेगावाट से डिमांड अधिक होने पर ओवरड्रॉल की स्थिति बन गई। इस स्थिति से 90 मेगावाट बिजली ओवरड्रॉल करनी पड़ी। इस तरह लोड शेडिंग के हालात नहीं बनने दिया गया। शाम को अंडरड्रॉल की स्थिति से अफसरों ने राहत की सांस ली। बिजली बनाने की क्षमता से डिमांड बहुत अधिक उत्पादन कंपनी के बिजली बनाने की क्षमता से प्रदेश में डिमांड अधिक है। कंपनी के बिजली संयंत्रों की इकाईयों को फुल लोड पर चलाने से बिजली निर्भरता कम किया जा सकता है, लेकिन महंगी बिजली निर्भरता खत्म करने एचटीपीपी संयंत्र के विस्तार से 660 मेगावाट की दो क्रिटिकल यूनिट की स्थापना भी काफी नहीं है। साल 2029-30 तक ही यह नया संयंत्र परिचालन में आएगा। दूसरी ओर इस अवधि तक प्रदेश में बिजली की डिमांड 8 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।उत्पादन कंपनी के संयंत्रों की सभी इकाईयां उत्पादन पर हैं और इन इकाईयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। इससे 2500 मेगावाट तक बिजली उत्पादन होने से 800 मेगावाट तक महंगी बिजली पर निर्भरता घटी है। जरूरी रखरखाव के लिए उत्पादन से बाहर एचटीपीपी संयंत्र की 500 मेगावाट यूनिट का भी लाइटअप कर दिया है। सोमवार को इस इकाई से 476 मेगावाट तक अधिकतम बिजली उत्पादन हुआ।