Wednesday, February 12, 2025

डीएमएफ के सोशल आडिट की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिका स्वीकृत,निगरानी समिति का गठन की मांग

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डीएमएफ के सोशल आडिट की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिका स्वीकृत,निगरानी समिति का गठन की मांग

कोरबा। खनिज न्यास मद (डीएमएफ) की 60 प्रतिशत राशि प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित लोगों पर खर्च की जानी है, पर राशि का उपयोग दीगर कार्यों में किया जा रहा है। अभी तक प्रत्यक्ष प्रभावितों की पहचान भी नहीं हो सकी है। अब तक किए गए खर्च का सोशल आडिट भी नहीं कराया गया है। इस पर कुछ प्रभावितों ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी, जिसे स्वीकृत कर ली गई है। प्रदेश में मुख्य खनिजों के उत्खनन से मिलने वाली रायल्टी राशि का एक निश्चित अतिरिक्त हिस्सा खनिज पट्टा धारकों द्वारा जिला खनिज न्यास संस्थानों को दिया जाता है इस राशि का उपयोग खनन अथवा खनन प्रक्रियाओं से प्रभावित क्षेत्रों के विकास और प्रभावित व्यक्तियों के हित में किया जाना है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना के उद्देश्यों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में भी हर जिले में डीएमएफ की स्थापना की गई है। जिला खनिज संस्थान न्यास के गठन के लिए खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा-9 (ख) में प्राविधान किया गया है। यह न्यास एवं गैर लाभ अर्जित करने वाला निकाय है।इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 बनाए गए हैं, न्यास निधि में उपलब्ध राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च किया जाना है यह राशि उन क्षेत्रों के निवासियों के लिए पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य की देखभाल, शिक्षा, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की गतिविधियों, महिला एवं बाल कल्याण, वृद्धों और नि:शक्तजनों के कल्याण सहित स्वच्छता के लिए किया जाना है शेष 40 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे-भौतिक अधोसंरचना,सिंचाई, बिजली और जल विभाजक विकास तथा राज्य शासन द्वारा समय-समय पर निर्देशित अधोसंरचना विकास के कार्यों में किया जाना है। याचिकाकर्ता बृजेश श्रीवास ने बताया कि डीएमएफ की राशि प्रभावितों पर खर्च नहीं की जा रही है।नियमत: प्रत्यक्ष प्रभावितों की पहले पहचान की जानी है, उसके लिए सर्वे कराया जाना है। अभी तक सर्वे का कार्य ही नहीं हो सका है, इससे प्रभावितों की पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि डीएमएफ में हो रही गड़बड़ी को लेकर जनहित याचिका होई कोर्ट में दायर की गई है। जिसमें डीएमएफटी के कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराना, टीएमएफटी के कार्यों का सीए द्वारा जांच कार्यों के निगरानी के लिए निगरानी समिति का गठन की मांग की गई है।
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डीएमएफ का लेजर बुक कैश बुक संधारित नहीं
ब्रजेश ने कहा कि बिना टेंडर, बिना कोटेशन के कार्य आवंटित किया जा रहा है। इसके साथ ही बिना टीडीएस काटे भुगतान हो रहा। इससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। ज्यादातर जिले में डीएमएफ का लेजर बुक कैश बुक संधारित नहीं कर रहे हैं। बिलासपुर एवं कुछ अन्य जिले में स्वच्छ भारत मिशन में बड़ी राशि व्यय की गई, जबकि यह एक केंद्रीय योजना है एवं इसके लिए अलग से राशि केंद्र द्वारा दी जाती है। बस्तर जैसे जिले में केवल अंकेक्षण पर लगभग 50 लाख रूपए व्यय कर दिया गया है। जांजगीर चांपा मे मे भी कई अनियमितताएं देखने हैं।
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अधिकतर कार्य ट्रस्ट के मंशा के अनुरूप नहीं
ब्रजेश ने बताया कि डीएमएफ कोरबा द्वारा लगभग 1284.66 करोड़ रूपये एडवांस के रूप में एजेंसियों को दिए गए, किंतु राशि की उपयोग मात्र 83 करोड़ रु का है। ट्रस्ट द्वारा कार्यों के मूल्यांकन एवं निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कोरबा में 58.78 प्रतिशत राशि 32 बड़े कार्यों के लिए आबंटित किया गया है। इनमें अधिकतर कार्य ट्रस्ट के मंशा के अनुरूप नहीं है जैसे सतरेंगा पर्यटन स्थल मल्टीलेवल पार्किंग, हाथी सहायता केंद्र व अन्य कार्य है।

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