Thursday, February 13, 2025

दीपका खदान में 48 घंटे बाद भी आंदोलन जारी,भूविस्थापितों को समझाइश दे पाने में एसईसीएल नाकाम

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दीपका खदान में 48 घंटे बाद भी आंदोलन जारी,भूविस्थापितों को समझाइश दे पाने में एसईसीएल नाकाम

कोरबा। दीपका खदान में मलगांव के भूविस्थापितों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। मुआवजा भुगतान में देरी व अन्य मांगों को लेकर ग्रामीणों का आंदोलन 48 घंटे समाप्त नहीं हुआ। खदान में उत्पादन व डिस्पैच से जुड़े कार्य प्रभावित रहे। शुक्रवार सुबह 8 से लेकर अब तक एसईसीएल प्रबंधन भूविस्थापितों की मांगों को पूरा करने या उनको समझाइश दे पाने में नाकाम रहा है। शुक्रवार को विधायक पुरुषोत्तम कंवर की उपस्थिति में प्रशासन की तरफ से अनुविभागीय अधिकारी शिव बैनर्जी व एसईसीएल के अधिकारियों ने भूविस्थापितों के मान–मनौव्वल की कोशिश की। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस बार प्रबंधन के बहकावे में नहीं आएंगे। वे पूर्ण भुगतान होने तक खदान बंदी करने की जिद पर अड़े हुए हैं।ग्रामीणों का कहना है कि दीपका खदान विस्तार का कार्य मलगांव ग्राम के एकदम समीप आ गया है। कोयला व ओबी खनन, हेवी ब्लास्टिंग, भारी वाहन आवागमन से ग्रामीणों को यहां रहने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एसईसीएल को चाहिए था कि मुआवजा भुगतान , बसाहट व नौकरी के पुराने प्रकरणों का निपटान करने के उपरांत खदान विस्तार का कार्य किया जाए, परंतु विगत कई वर्षों से एसईसीएल प्रबंधन का रवैया बेहद सुस्त व निराशाजनक रहा है। इसी कारण इस बार ग्रामीणों ने आर पार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने बताया कि शुक्रवार सुबह से खदान में कार्य करने वाले सभी ठेका कंपनियों के काम बंद हैं। उनके साथ ही साथ दीपका का साइलो, रोड सेल रेक लोडिंग जैसे सभी कार्य ठप्प पड़े हुए हैं। भूविस्थापितों के आंदोलन को अब तक कटघोरा विधायक पुरषोत्तम कंवर, राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक जिलाध्यक्ष श्यामू जायसवाल, स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित आस पास के ग्रामीणों का समर्थन प्राप्त है। कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने कहा कि ग्रामीणों की मांग पूरे तरीके से जायज है। उनकी मांगों को तुरंत पूरा किया जाना चाहिए। ग्रामीणों के अधिकारों को दर किनार कर खदान का विस्तार किसी कीमत पर नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष श्यामू जायसवाल ने कहा कि वर्तमान आंदोलन के लिए एसईसीएल प्रबंधन स्वयं जिम्मेदार है। सालों से आवेदन निवेदन के उपरांत भी अब तक भूविस्थापितों के मुआवजा, बसाहट, नौकरी आदि की लंबित मांगों को पूरा नहीं किया गया है जो प्रबंधन के सुस्त रवैए को दर्शाता है।

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