बीएड महाविद्यालयों में एडमिशन के लिए करनी होगी जद्दोजहद,सीट कम होने के कारण जिले के अभ्यर्थियों को होगी निराशा
कोरबा। अपने ही जिले से बीएड करने के इच्छुक अभ्यर्थियों को बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक परेशानी होगी। कॉलेज व सीट संख्या कम होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों को निराश होना पड़ेगा। हालांकि काउंसलिंग शुरू होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि किसे एडमिशन मिलेगा, किसे नहीं, क्योंकि आरक्षण और मेरिट के अनुसार कटऑफ जारी होंगे, जिसमें पात्र छात्रों को ही अवसर मिले पाएगा। प्री-बीएड में जिन्हें बेहतर अंक मिले होंगे, उनको तो प्रवेश मिल जाएगा, लेकिन जिनके मार्क्स कम होंगे, उन्हें मायूस होना पड़ेगा। ऐसे छात्रों को समय काउंसलिंग के दौरान अपने जिले के साथ अन्य जिलों के बीएड कॉलेज को भी ऑप्शन के रूप में चयनित करना होगा।55 प्रतिशत से अधिक अंक वालों को उम्मीद प्री-बीएड परीक्षा में जिन छात्रों को 55 प्रतिशत व उससे अधिक अंक होंगे, उनके एडमिशन की राह चयन करने पर कोरबा जिला में आसान हो सकती है। बीते वर्षों में यह देखा गया है कि आरक्षण के बाद भी इससे कम अंक पाने वालों को एडमिशन से वंचित होना पड़ा था। अन्य राज्य, सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के महिला व पुरुष अभ्यर्थियों को केटेगरी वार बांटकर मेरिट सूची तैयार की जाती है। इसमें सबसे अधिक समस्या सामान्य और ओबीसी वर्ग को होती है। कोरबा जिला में बीएड के तीन कॉलेज हैं। केएन कॉलेज, श्री अग्रसेन गल्र्स कॉलेज व हसदेव एजुकेशन आमापाली। इन तीनों कॉलेजों का संचालन निजी प्रबंधन के हाथों में है। जिले में एक भी शासकीय कॉलेज नहीं हैं। प्रत्येक कॉलेज में 100-100 सीटों का आवंटन मिला हुआ है। यहां बताना होगा कि इस वर्ष 17 जून को हुई प्री-बीएड परीक्षा में सिर्फ कोरबा जिला से ही 6752 छात्र शामिल हुए थे। परीक्षा देने के लिए ही बुलाते हैं संस्था प्रमुख अन्य जिलों में बीएड के ऐसे कॉलेज भी हैं, जो अपनी शर्तों पर एडमिशन का नियम बना रखे हैं। रायपुर और अन्य जिलों के बीएड कॉलेज जिले में भी अपना कार्यालय संचालित कर रहे हैं। इन कार्यालयों के माध्यम से अपने यहां एडमिशन देने का अवसर देते हैं। ऐसे संस्थान छात्रों से एक निर्धारित शुल्क दो-तीन किस्तों में लेकर उन्हें सिर्फ परीक्षा देने के लिए आमंत्रित करते हैं। नियमित क्लास से बचाने के एवज में छात्रों को भारी भरकम शुल्क लेकर बीएड की डिग्री थमाते हैं।