रात 9:45 की बजाय देर रात्रि 2.30 बजे आई हसदेव, हसदेव एक्सप्रेस ने लेटलतीफी का बनाया कीर्तिमान
कोरबा। रेल प्रबंधन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कोरबा के यात्रियों को प्रताड़ित करने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है। इस कड़ी में हसदेव एक्सप्रेस ने लेटलतीफी का कीर्तिमान बनाया है। हसदेव रात 9:45 की बजाय देर रात्रि 2.30 बजे आई। जिससे लोगों को परेशान होना पड़ा। इन दिनों रायपुर से कोरबा तक ट्रेन का सफर काफी परेशानियां हो रही है। इससे राहत दिलाने के लिए रेलवे प्रशासन की ओर से कोई सकारात्मक प्रयास नहीं करने से यात्रियों की समस्या बढ़ती जा रही है। रविवार 6 अगस्त की रात कोरबा आने वाली हसदेव एक्सप्रेस 4:45 घंटा विलंब से 2.30 बजे रात को कोरबा पहुंचीद्य बीते दिनों बुधवार को कोरबा आने वाली लिंक एक्सप्रेस यहां 5 घंटा 16 मिनट देरी से आई। यह गाड़ी लगातार विलंब से चल रही है। यात्रियों की परेशानी इस बात को लेकर भी रही कि यह गाड़ी दोपहर 2.31 बजे चांपा से कोरबा के लिए रवाना तो हुई, लेकिन 37 किलोमीटर की दूरी तय करने इसे 2 घंटा लग गया और यह गाड़ी 4.31 बजे यहां पहुंच सकी। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर की ओर से लगातार जिले के यात्रियों की उपेक्षा की जा रही है। ब्लाक हो या न हो, यहां की गाड़ियों को विलंब से चलाने की अनिवार्यता सी हो गई है। लिंक एक्सप्रेस रायपुर तक अपने निर्धारित समय में पहुंचती तो है, लेकिन उसके बाद इस गाड़ी को विलंब करना शुरू कर दिया जाता है। इन दिनों कोयला डिस्पैच का प्रतिदिन का औसत जहां पहले 35 रैक का था, वह अब 45 रैक से अधिक हो गया है। विगत एक साल से यात्री ट्रेनों की गति बिगड़ी हुई है, जिस पर रेलवे प्रशासन चाहकर भी अंकुश नहीं लगा पा रहा है। इसका खामियाजा आए दिन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। अब तो स्थिति यह बन चुकी है कि अगर किसी को बिलासपुर या रायपुर जाना है, तो वे यह मानकर ट्रेन में सवार होते हैं कि तय समय में तो नहीं वरन अपने गंतव्य तक जरूर पहुंच जाएंगे। शुक्रवार को कोरबा आने वाली लिंक एक्सप्रेस, हसदेव एक्सप्रेस रायपुर-कोरबा मेमू लोकल, रायपुर-कोरबा पैसेंजर 1 से 5 घंटे तक विलंब से यहां पहुंची थी?।मेमू लोकल हो या पैसेंजर, हसदेव एक्सप्रेस हो या लिंक अथवा शिवनाथ एक्सप्रेस, कोई भी गाड़ी, जो कोरबा से रायपुर के बीच नियमित चलती हैं, वे समय पर नहीं चल रही हैं। यहां से जाने की बात हो या फिर वापस कोरबा आने की। हां यह जरूर है कि रायपुर व बिलासपुर जाने जितना विलंब ट्रेनों को किया जाता है, उससे कहीं अधिक कोरबा आने वाली गाड़ियों को किया जाता है। इससे यात्रियों की नाराजगी बनी हुई है।
बॉक्स
रात में आने वाली ट्रेनों के यात्रियों को आए दिन होती है परेशानी
दिन की बजाय रात में यहां पहुंचने वाली हसदेव एक्सप्रेस या फिर मेमू लोकल और पैसेंजर ट्रेन, जिनमें सफर करना काफी परेशानी भरा साबित होता है, क्योंकि तय समय से कम से कम 1 तो अधिक से अधिक 5 घंटे देरी से चलना आम बात हो गई है। अधिक विलंब होने से उपनगरीय यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने साधन तलाशना पड़ता है, जो बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं। इसके लिए लोगों को अधिक किराया देने मजबूर होना पड़ता है।