राशन कार्ड ई-केवायसी की सुस्त चाल, बार बार समय बढऩे के बाद भी टारगेट नहीं हुआ पूरा
कोरबा। जिले में शासकीय खाद्यान्न प्राप्त करने वाले कार्डधारकों का ई-केवायसी किया जा रहा है। बार-बार समय बढ़ाने के बाद भी ई-केवायसी का टारगेट पूरा नहीं हुआ है।फर्जी राशन वितरण को रोकने के लिए सभी हितग्राहियों का ई-केवायसी के अंतर्गत फिंगर प्रिंट मिलान करना केंद्र सरकार ने अनिवार्य कर दिया है। एक जून से 31 जुलाई तक तीन बार तिथि बढ़ाया जा चुका है। इसके बाद भी जिले के 3.26 लाख राशनकार्ड हितग्राहियों में 55 प्रतिशत हितग्राहियों का सत्यापन नहीं हुआ है। जिले में 3,26,967 राशन कार्ड हैं।इनमें 37,656 एपीएल हितग्राही हैं। एक जनवरी से 31 जुलाई तक जिले में 31,765 नए राशन कार्ड बने हैं। इनमें इस अवधि केवल 302 कार्ड बंद हुए हुए हैं। नए राशन कार्ड में 29,231 बीपीएल हैं। एक ओर राज्य शासन की ओर से विकास की गाथाएं गढ़ी जा रही वहीं जिले सस्ता राशन पाने वालों की होड़ लगी है। बताना होगा कि ई-केवायसी कराने के लिए निर्देश पहली बार 25 मई को जारी की गई थी। 30 जून तक के वायसी पूरा करने के लिए कहा गया। निर्धारित तिथि तक काम पूरा नहीं होने पर समय सीमा 31 जुलाई कर दी गई। अब जबकि 50 प्रतिशत से भी कम लोगों का सत्यापन हुआ है ऐसे में समय सीमा 31 अगस्त बढ़ा दी गई है। सत्यापन नहीं कराने वालों में ज्यादातर नाम्नी के सहारे राशन लेने वाले बुजुर्ग व दिव्यांग हैं। ऐसे हितग्राहियों का दुकान तक पहुंचना मुश्किल है। सत्यापन के अभाव में फर्जी राशन वितरण को रोकने में खाद्य विभाग नाकाम है।सस्ता राशन वितरण प्रणाली आम हितग्राहियों के लिए जितना सुगम ही उतना ही इसे दुकान संचालकों ने उपरी कमाई का जरिया बना लिया है। राशन कार्ड का पिछले चार वर्षों से सत्यापन नहीं हुआ है। ऐसे में मृत हो चुके हितग्राहियों का नाम अभी भी नहीं हटाया गया है। 45 प्रतिशत राशन कार्ड का सत्यापन होने के बार 3,900 हितग्राहियों में कमी आई है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विगत कई वर्षों से शासन को राशन वितरण के नाम चूना लगाया जा रहा है। अभी 55 प्रतिशत हितग्राहियों के फिंगर प्रिंट का सत्यापन शेष है। ऐसे 5,000 से अधिक हितग्राहियों का नाम कम होना लगभग तय है।