रिमझिम बौछारों के बीच बढ़ा गज और भुजंग का खतरा
कोरबा। रिमझिम बौछारों ने किसानों सहित शहर-गांव के लोगों को जहां एक ओर राहत मिली है, तो दूसरी ओर जंगल से लेकर आबादी क्षेत्र में विषधर और गजराजों की दहशत एक बार फिर बढ़ गई है। वनविभाग की ओर से मुनादी कर हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को जंगल से दूर रहने या रात के समय सजग रहने कहा जा रहा, तो दूसरी ओर वनविभाग से अधिकृत स्नेक रेस्क्यू टीमें भी लोगों को सर्पदंश से बचाव के लिए लगातार जागरुक करने जुटी हुई हैं।
कोरबा वनमंडल की बात करें तो वर्तमान में 13 हाथी विचरण कर रहे हैं, जबकि कटघोरा वनमंडल में 45 हाथियों की चहलकदमी दर्ज की गई है। कुदमुरा व पसरखेत परिक्षेत्र में पिछले 10 से 15 दिनों से लगातार हाथियों का विचरण यहां-वहां हो रहा है, जिनसे बचाव के लिए वनविभाग का मैदानी अमला लगातार सजग व सक्रिय रहकर न केवल उन पर नजर रख रहा, उनके संभावित रूट का पता लगाकर वहां के गांवों में मुनादी कराई जा रही है। ग्रामीणों को वक्त बे वक्त जंगल की ओर नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है। खासकर रात के वक्त उन्हें घर में ही रहने को सावधान किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा कि सावधान और सतर्क रहने के साथ वनविभाग से जारी गाइडलाइन का पालन करने में ही उनकी व उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।
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जमीन पर न सोएं
कोरबा वनमंडलाधिकारी अरविंद पी ने आमजनों से गुजारिश की है कि किसी भी हालतमें बारिश के इस मौसम में जमीन न सोएं। यह गलती जानलेवा हो सकती है। उन्होंने बताया कि वन विभाग से अधिकृत स्नेक रेस्क्यू टीम के सर्प विशेषज्ञ वनविभाग के साथ मिलकर लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। कई स्थानों से सर्प को पकडक़र जहां लोगों की जान बचाई जा रही, सर्प को भी सुरक्षित क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा है। उन्होंने अपील की है कि सर्पदंश से बचाव के लिए कुछ आसान व जरूरी बातों या सावधानियों का ध्यान रखें। इसमें जमीन पर न सोना, घर के खिडक़ी-दरवाजों को अच्छी तरह से बंद रखना, जिससे विषैले जीव या सर्प भीतर न घुस आएं। डीएफओ ने खासतौर पर जोर देते हुए कहा कि अगर दुर्भाग्य से सर्प दंश हो, तो पीडि़त को बिना देर किए अस्पताल लेकर जाएं। किसी बैगा-गुनिया के चक्कर न पड़ें, अन्यथा जान भी जा सकती है। सर्पदंश में जितनी देरी होगी, जान बचने की उम्मीद उतनी की कम होती जाएगी।