लक्ष्य हासिल करना एसईसीएल के लिए नहीं होगा आसान, गत वर्ष के 187 मिलियन टन तक पहुंचा भी मुश्किल
कोरबा। मौजूदा वित्तीय वर्ष का कोयला उत्पादन टारगेट हासिल करना एसईसीएल के लिए कतई आसान नहीं है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को उत्पादन बढ़ाने के लिए जुझना पड़ रहा है। मार्च में उत्पादन की रफ्तार नहीं बढ़ाई गई तो 2023- 24 के आंकड़े 187 मिलियन टन तक पहुंचा भी मुश्किल होगा। खासकर जिले की मेगा परियोजनाओं ने निराश किया है। जिससे कंपनी प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है। एसईसीएल ने अप्रेल 2024 से फरवरी 2025 तक की स्थिति में 147.23 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन दर्ज किया है। जबकि इस अवधि में 180 मिलियन टन तक उत्पादन का आंकड़ा पहुंच जाना चाहिए था। कंपनी के समक्ष 2024- 25 के लिए 206 मिलियन टन का लक्ष्य है। उत्पादन की धीमी रफ्तार नहीं बढ़ाई गई तो 2023- 24 के आंकड़े 187 मिलियन टन तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। दरअसल एसईसीएल के दो मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा और दीपका पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। इन दो खदानों के नेगेटिव ग्रोथ के कारण कंपनी के प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है। अप्रेल 2024 से फरवरी 2025 तक कुसमुंडा मेगा प्रोजेक्ट से 24.34 मिलियन टन ही उत्पादन हो सका है। जबकि इस अवधि तक 45 मिलियन टन उत्पादन का आंकड़ा पहुंच जाना चाहिए था। कुसमुंडा खदान का सालाना उत्पादन लक्ष्य 52 मिलियन टन है।इसी तरह दीपका माइंस भी उत्पादन में पिछड़ा हुआ है। अप्रेल 2024 से फरवरी 2025 तक दीपका ने 28.55 मिलियन टन उत्पादन दर्ज किया है। दीपका के समक्ष 40 एमटी का टारगेट है। उक्त दोनों खदानों के मुकाबले गेवरा खदान से उत्पादन की रफ्तार कुछ बेहतर है। अप्रेल 2024 से फरवरी 2025 तक गेवरा से 48.69 मिलियन टन उत्पादन हुआ है। गेवरा का सालाना टारगेट 63 मिलियन टन का है।