वनोपज संग्रहण के लिए जंगल जाना खतरे से खाली नहीं,हाथियों का झुंड कर रहा है विचरण,वन विभाग ने किया अलर्ट
कोरबा। जंगलों में हाथी की धमक से खतरा बना हुआ है। ऐसे में जंगल की ओर जाना खतरे से खाली नहीं है। बारिश के मौसम में ग्रामीण वनोपज संग्रहण के लिए जंगल जाते हैं, जिन्हें जंगल ना जाने की हिदायत दी जा रही है। प्रभावित इलाकों में वन विभाग ने अलर्ट करने मुनादी कराई है। वर्तमान में कोरबा वनमंडल के दो अलग इलाकों में कुल 14 गजराज विचरण कर रहे हैं। इनमें से दो ने जहां लेमरू क्षेत्र के जंगल में डेरा डाल रखा है तो 12 के झुंड ने अभी कुदमुरा रेंज में आने वाले गांवों को दहशत में डाल रखा है। वन विभाग गांव-गांव में मुनादी कर ग्रामीणों को अलर्ट करने में जुटा हुआ है। प्रभावित गांव के ग्रामीणों को आगाह किया जा रहा है कि अभी महुआ डोरी के लिए जंगल में जाना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसीलिए जब तक हाथी दूर न निकल जाते, किसी भी प्रकार के वनोपज संग्रहण के लिए उन्हें जंगल का रुख नहीं करना चाहिए। कोरबा व कटघोरा समेत जिले के दोनों ही वनमंडल हाथियों की समस्या से जूझ रहे हैं। दिन के वक्त हाथी गांव के नजदीक जंगलों में टहलते हैं और रात में गांव में घुसकर उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं। हाथियों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। अभी कोरबा वन मंडल में कुल 14 हाथी घूम रहे हैं। दस दिन पहले ही एक झुंड ने ग्राम मदनपुर पहुंचकर यहां की बाड़ी में लगे कटहल और केले की फसल को चट कर दिया था। हाथियों का यह झुंड चचिया, जिल्गा और गेरांव समेत अन्य गांव के आस-पास जमे हुए हैं तो दूसरी ओर लेमरू रेंज में छह दिन पहले पहुंचे दो हाथी अभी भी यहां के जंगल में मौजूद है।