वर्षों से जर्जर मार्ग की मार झेल रहे गिधौरी के ग्रामीण, कई बार की गई शिकायत के बाद भी प्रशासन ने ली सुध
कोरबा। जिले के तहसील करतला अन्तर्गत ग्राम गिधौरी के ग्रामीण वर्षों से जर्जर मार्ग की मार झेल रहे हैं। कई बार शिकायत के बाद भी प्रशासन ने उनकी मांग नहीं सुनी। जर्जर सड़क के कारण लोगों का आवागमन दुभर हो गया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। अस्पताल ले जाने मरीज को खाट पर लिटाकर ले जाना पड़ रहा है। बार-बार शिकायत कर के थक चुके ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट चुका है। उनका कहना है कि अगर जर्जर मार्ग पर कोई अप्रिय घटना होती है तो उसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मामले की शिकायत लेकर पहुंचे लोगों ने बताया कि ग्रामीणों को धनवारपारा मुड़ाभांटा, बांधपारा, चारपारा के मुख्य मार्ग की लगभग 5 किलोमीटर की सडक अत्यंत खराब हो जाने के कारण परेशानी हो रही है। खासकर गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानी हो रही है। जच्चा बच्चा की जान को खतरा है। जिसकी प्रतिपूर्ति शासन के किसी भी योजना अथवा संसाधनों के द्वारा किसी भी प्रक्रिया के द्वारा नहीं की जा सकती है। तब ऐसी स्थिति में शासन से ग्राम वासियों के परिवारों को होने वाली अपूर्णीय क्षति से बचने ग्राम गिधौरी के सार्वजनिक मार्ग को अतिशीघ्र शासन के किसी भी मद की राशि का उपयोग कर निर्माण किया जाना अति आवश्यक है। कई बार शासन, प्रशासन को अवगत कराने के पश्चात् भी अवहेलना करते हुए सड़क का जीर्णोद्धार नहीं कराया जा रहा है। जिससे प्रतिकूल परिवेश व परिस्थिति में ग्रामवासियों को अपने काम पर जाने व अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। जिस कारण से कई बार अवकाश की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ग्राम तक एबूलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। अन्य कई सारी सुविधाओं से भी ग्रामीणों को वंचित रहना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गिधौरी की उक्त समस्या के संबंध में पूर्व में भी उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के पश्चात् भी किसी भी प्रकार की सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है।भविष्य में यदि किसी भी प्रकार की जनहानि ग्राम गिधौरी में होती है तो उसमें प्रतिनिधि के रूप में जिला के दण्डाधिकारी, जिला पंचायत के सीईओ, जनपद पंचायत के सीईओ के विरूद्ध उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत कर अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराने की मांग करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि अतिशीघ्र कार्यवाही किया जाना ग्रामवासियों को प्रतीत नही होता है तब ऐसी स्थिति में ग्राम के महिलाओं, बच्चों के द्वारा जिला कलेक्टर के कार्यालय का विधिवत् सूचना अनुसार घेराव करने बाध्य होंगे।