Thursday, February 13, 2025

सुनसान जंगल में,70 लाख रुपए से निर्मित विद्यालय भवन हो रहा है खंडहर, माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के ऊपर होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई-मनीराम जांगड़े

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सुनसान जंगल में,70 लाख रुपए से निर्मित विद्यालय भवन हो रहा है खंडहर, माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के ऊपर होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई-मनीराम जांगड़े

कोरबा। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा विभाग के द्वारा 2013 में 70 लाख रुपए द्वारा खर्च कर कोरबा विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत तिलाईढाड में नवीन हाई स्कूल भवन का निर्माण कराया गया है, लेकिन 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी सर्व सुविधा युक्त भवन में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र छात्राओं को हायर सेकेंडरी पढ़ाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच एवं पीडब्ल्यूडी के साथ ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा की लापरवाही की वजह से आज ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी की पढ़ाई से वंचित हो रहे है। इस संबंध में समाजसेवी मनीराम जांगड़े ने गत दिनों जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भरद्वाज से इस संबंध में चर्चा की। तब जिला शिक्षाअधिकारी द्वारा यह बताया गया कि गांव से उक्त भवन लगभग 2 किलोमीटर दूर है। छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की दृष्टि से उक्त भवन में पढ़ाई संचालित करना संभव नहीं है। श्री जांगड़े का कहना है कि यह सत्य है कि उक्त भवन जंगल के बीच में बना दिया गया है, जो की छात्र छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए उक्त भवन में विद्यालय संचालित करना उचित नहीं है, लेकिन विभाग एवं निर्माण एजेंसी के साथ हैं ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच के द्वारा उक्त स्थान को चयनित करना पूर्णता निंदनीय है। शासकीय राशि 70 लाख रुपए की क्षति हुई है। भवन इतना मजबूत बना है कि 7 वर्ष बाद भी उक्त भवन की मजबूती झलक रही है। हालांकि असामाजिक तत्वों द्वारा केवल खिडक़ी दरवाजा ही चोरी करके ले गए हैं। बाकी पूर्ण रूप से व्यथित और मजबूत है। मनीराम जांगड़े ने कहा कि आज की स्थिति में उक्त भवन से एक बूंद पानी भी सीपेज नहीं हो रहा है। हर तरह की सुविधा है लेकिन इतनी मजबूत भवन आज की स्थिति में पशुओं के रहने के लायक बन गया है। सरकारी राशि का दुरुपयोग करने वाले संबंधित अधिकारियों के प्रति कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति ना हो और शासन की राशि का सही जगह और सही उपयोग हो। आज की स्थिति में अक्सर देखा और सुना जाता है कि जिले में सैकड़ों ऐसे विद्यालय हैं जो जर्जर है और सर्वसुविधा ना होने के बावजूद भी बच्चे व शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं। साथ ही भवन ना होने की स्थिति में बच्चे कहीं पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, तो जर्जर भवन में पढऩे मजबूर हैं,जो कभी भी एक बड़ी हादसा को आमंत्रित कर रहा है। अगर इतनी बड़ी राशी जिले में अन्य जर्जर भवनों की मरम्मत कार्य में लगा दिया जाता तो जिले के ग्रामीण अंचल के छात्र छात्राओं को और अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त होती।

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