डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ गांव की सेहत का भी रखना होगा ख्याल, एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल स्टूडेंट एक परिवार को लेंगे गोद
कोरबा। एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे नए बैच के प्रत्येक छात्र-छात्राओं को कम से कम एक परिवार को गोद लेना होगा। परिवार के स्वास्थ्य पर नजर रखनी होगी। छात्र टेलीमेडिसिन और मोबाइल यूनिट्स के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों से मरीजों को जोड़ेंगे। नया पाठ्यक्रम सेवा भावना और व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाएगा।
मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अब किताबों तक ही सीमित नहीं रहेंगे बल्कि नए बैच में मेडिकल कॉलेज के प्रत्येक छात्र-छात्राओं को फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम का हिस्सा बनना होगा। महाविद्यालय में प्रवेश लेते ही कम से कम किसी एक परिवार को गोद लेना होगा। गोद लिए परिवार के सेहत की जिम्मेदारी छात्र-छात्राओं की होगी। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की नई गाइडलाइन के अनुसार फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत कॉलेज प्रबंधन को कॉलेज स्तर पर दो गांव गोद लेने होंगे। यहां छात्र 87 घंटे तक ग्रामीणों के साथ रहकर उनके सेहत का ख्याल रखेंगे। छात्र शिविर लगाकर जरूरत पडऩे पर इलाज करेंगे। ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ सेवा कार्य भी करेंगे। बीमार लोगों को अपनी देखरेख में अस्पताल पहुंचाना होगा। साथ ही पढ़ाई के दौरान ग्रामीण परिवार के स्वास्थ्य पर नजर रखनी होगी। इस गाइडलाइन के तहत शासन की मंशा मेडिकल छात्र-छात्राओं को जमीनी हकीकत से जोडऩा और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देना है। इसके अलावा प्राध्यापकों को भी एक गांव गोद लेकर ग्रामीणों के सेहत का ध्यान रखना होगा। एनएमसी की इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होने की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि नया पाठ्यक्रम सेवा भावना और व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाएगा। डॉक्टर्स सिर्फ मरीज की बीमारी ही नहीं बल्कि उनकी सामाजिक और पारिवारिक स्थिति को भी समझेंगे। मेडिकल कॉलेज के गोद लिए गए गांव में स्वास्थ्य शिविर, टीकाकरण, स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्य करने होंगे। छात्र टेलीमेडिसिन और मोबाइल यूनिट्स के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों से मरीजों को जोडेंगे। इससे बेहतर स्वास्थ्स सुविधा मिल सकेगी।