नाबालिग से अनाचार के मामले में चार को उम्रकैद
कोरबा। नाबालिग लडक़ी को दुष्कर्मी से बचाने के बजाए उसे सौंप देने के मामले में न्यायालय ने एक महिला समेत चार लोगों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायालय के आदेश पर सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया। घटना एक अगस्त 2017 की है। 12 साल की नाबालिग लडक़ी कोरबा के स्लम बस्ती में नाना के घर रहती थी। अगस्त में लडक़ी के भाई की शादी थी। इसकी जानकारी लडक़ी के पड़ोस में रहने वाले सोनबाई, अजय और आरिफ खान को थी। अजय ने लडक़ी से 90 हजार रुपए की मांग किया, तब लडक़ी ने राशि देने से मना कर दिया। इस पर तीनों ने मिलकर धमकाते हुए उसके नाना और भाई को मारने की धमकी दी। डर कर नाबालिग ने अपने घर से 60 हजार रुपए लेकर आ गई। अजय और संतोष ने नाबालिग को बाइक पर बैठाकर खरसिया रायगढ़ ले गए और रुपए लेने के बाद उसे एक मकान में रख लिया। इस बीच पुलिस जब नाबालिग को ढूंढ़ते हुए पहुंची तो आरोपी अजय उसे भगाकर पुणे ले गया।पुलिस ने वहां पहुंचने पर वह अपने रिश्तेदार के घर अंबिकापुर पहुंच गया। यहां सुशील कोरी ने पनाह दिया। जब पुलिस अंबिकापुर पहुंची, तो अजय लडक़ी को लेकर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश भाग गया। तीन माह की कोशिश के बाद लडक़ी को गाजियाबाद में एक मकान से बरामद कर पुलिस ने कोरबा लाया। बयान में नाबालिग ने अजय पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। साथ ही सोनबाई, संतोष चंद्रा, सुशील कोरी और आशिफ सम्स पर अजय के गलत कार्यों को पनाह देने का भी आरोप लगाया। पुलिस ने घेराबंदी कर चोरों को गिरफ्तार कर लिया। सभी आरोपी जेल में बंद थे।मामले की सुनवाई कोरबा विशेष न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी। न्यायाधीश विक्रम प्रताप चन्द्रा की अदालत ने सोनबाई, संतोष चंद्रा, सुशील कोरी और आशिफ सम्स को धारा 363, 366 क, 368, 109 और लैंगिक अपराध से बाल्को का संरक्षण अधिनियम की धारा छह के तहत दोषी ठहराया। न्यायाधीश विक्रम प्रताप चंद्रा की अदालत ने चोरों आरोपितों को धारा 363 के तहत सात वर्ष, धारा 366 क के तहत 10 साल और लैंगिक अपराध से बाल्को का संरक्षण अधिनियम की धारा छह के तहत उम्रकैद की सजा सुनाया है। जबकि नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपित अजय अभी भी फरार है। उसकी तलाश पुलिस कर रही है।