बिना किसी वैधानिक आधार के ऑनलाईन राजस्व अभिलेख में दर्ज करा ली भूमि, गोरेलाल साहित तत्कालीन हल्का पटवारी प्रीति सिंह के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग
कोरबा। जिले में जमीन की हेरा फेरी कोई नई बात नहीं है। ताजा मामला बालको थाना क्षेत्र में सामने आया है। जिसमें पीड़ित की जमीन को बिना किसी वैधानिक आधार के ऑनलाइन राजस्व अभिलेख में किसी अन्य के नाम पर दर्ज कर दी गई है। मामले में पीड़ित में बालको पुलिस से मामले की शिकायत कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। मामले में अब तक प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार प्रार्थी ने सुशासन तिहार में भी ऑनलाइन आवेदन दिया है। गुलाबचंद पिता स्व. चिरंजीलाल ग्राम पाड़ीमार ने बालको पुलिस से मामले की शिकायत की है। शिकायत में बताया गया कि उसके नाम पर ग्राम पाडीमार, तह. व जिला कोरबा में मेरे भूमि स्वामी हक की भूमि खसरा नं. 185/7 रकबा 0.04 एकड़ भूमि राजस्व अभिलेखों के मेनूवल रिकार्ड में दर्ज है। जिस पर मेरा मकान बना हुआ है तथा में उस पर परिवार सहित निवासरत हूँ। गोरेलाल पिता खेमनाथ, जाति स्वर्णकार, साकिन पाड़ीमार, मुकाम 34/बी, रामपुर दीनदयाल आवास, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी कोरबा, तह. व जिला कोरबा के द्वारा तत्कालीन हल्का पटवारी प्रीति सिंह के साथ मिलकर मेरे निजी भूमि स्वामी हक की भूमि को ऑनलाईन कम्प्यूटर रिकार्ड में गोरेलाल के द्वारा पटवारी से मिलीभगत कर अपने नाम में दर्ज करवा लिया है, जिससे मैं परेशान होकर परिवेदित हूँ।
मेरे द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कोरबा के न्यायालय में आवेदन पेश किया गया था। जिस पर उनके द्वारा कार्यवाही कर 5 वर्ष से अधिक समय से आरोपी गोरेलाल के नाम पर उक्त भूमि दर्ज रहने के कारण जिला कलेक्टर कोरबा से वाद प्रचलन हेतु अनुमति वास्ते प्रतिवेदन देने पर जिला कलेक्टर कोरबा के द्वारा 5 वर्ष की कालावधि होने की स्थिति में प्रकरण में प्रचलन की अनुमति दिनांक 16.03.2023 को प्रदान की गई है। कलेक्टर कोरबा के प्रतिवेदन से यह प्रमाणित हुआ है कि अवैधानिक तरीके से आरोपी गोरेलाल एवं तत्कालीन हल्का पटवारी के द्वारा कपटपूर्वक तरीके से आवेदक की भूमि को अन्य व्यक्ति गोरेलाल के नाम पर बिना किसी वैधानिक आधार के ऑनलाईन राजस्व अभिलेख में दर्ज भूमि स्वामी हक प्रदान कर दिया गया है, जो पूर्णतः अवैधानिक है, जिसके कारण गोरेलाल के साथ तत्कालीन हल्का पटवारी प्रीति सिंह के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भारतीय न्याय संहिता के धाराओं के तहत दर्ज करने की मांग की है।