Monday, June 30, 2025

मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 का पालन नहीं होने से भू विस्थापितों को नहीं मिल रहा रोजगार, माटी अधिकार मंच के पदाधिकारियों ने ली पत्रकारवार्ता

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मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 का पालन नहीं होने से भू विस्थापितों को नहीं मिल रहा रोजगार, माटी अधिकार मंच के पदाधिकारियों ने ली पत्रकारवार्ता

 

कोरबा। माटी अधिकार मंच के अध्यक्ष ब्रजेश श्रीवास, सचिव रविशंकर यादव, विधि सलाहकार लोकेश कुमार प्रजापति सहित अन्य पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में कहा कि एसईसीएल के द्वारा कोरबा जिले में 1955-56 से लगातार कोयला उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। पूर्व में अंडरग्राउंड माइन्स के द्वारा उत्खनन किया जाता था। सर्वप्रथम मानिकपुर माइंस के बाद 1978-79 से लगातार खुली खदान की शुरुआत की गई है। तत्कालीन जिलाधीश बिलासपुर के निर्देशानुसार अर्जित भूमि के एवज में प्रत्येक खातेदार के परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार देने का निर्देश जारी किया गया था। परिवार शब्द का वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड द्वारा अत्यंत संकीर्ण अर्थ निकाले जाने के कारण कलेक्टर जिला बिलासपुर एम के दीक्षित के द्वारा 2 मार्च 1979 को निर्देश जारी किए गए थे, कि खातेदार के परिवार में रोजगार हेतु सदस्य नहीं होने की स्थिति में अपने दूर के रिश्तेदार को उस व्यक्ति के रूप में नामांकित करता है। जिस पर वह अवलंबित हो तो उसका नाम भी आपको वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड को रोजगार हेतु भेजना चाहिए। यह पत्र श्री दीक्षित के द्वारा जिला रोजगार अधिकारी कोरबा जिला बिलासपुर एवं सब एरिया मैनेजर कुसमुंडा प्रोजेक्ट को प्रेषित किया गया था। इसके पश्चात रोजगार देने हेतु 31 जनवरी 1983 को तत्कालीन मध्य प्रदेश शासन के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के उप सचिव द्वारा पत्र जारी कर शासन के निर्णय से उद्योग संचालक भोपाल मध्य प्रदेश एवं प्रबंध संचालक औद्योगिक विकास निमम भोपाल मध्य प्रदेश शासन को अवगत कराया गया था कि औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हेतु अर्जित की जा रही भूमि के आवंटन एवं आधिपत्य देते समय संबंधित औद्योगिक इकाई द्वारा निष्पादित किए जाने वाले लीजडीड में यह शर्त रखी जाए कि, जिन कृषकों की भूमि अर्जित की जा रही है । उस परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को कुशल / अकुशल श्रमिक के रूप में नौकरी पर रखेंगे। यदि किसी कृषक के यहां कोई शिक्षित व्यक्ति नहीं है तो उन्हें यह उद्योग यथा उचित प्रशिक्षण देकर अपने संयंत्र में नौकरी देंगे। भूमि आवंटन के लीज डीड में यह भी शर्त रखने का निर्देश दिया गया था, कि खनन के लिए भूमि आबंटित करने पर उक्त भूमि को 20 वर्ष पश्चात खातेदार को समतल कर लौटाई जाए। जिसे भूमि अवार्ड के शर्तों में जोड़ा गया है। जिसका तात्पर्य यह है कि, एमपीएलआरसी के तहत अर्जित की जाने वाली भूमि के अवार्ड में यह शर्त रखी जाए कि, खातेदार के परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को कुशल /अकुशल श्रमिक के रूप में नौकरी पर रखना होगा। शिक्षित नहीं होने की स्थिति में प्रशिक्षण देकर संयंत्र में नौकरी दिया जाएगा। कंपनी को शासन के द्वारा स्वजन हेतु आबंटित की गई भूमि 20 वर्ष पश्चात खातेदार को लौटाया जाना है। मध्य प्रदेश शासन के पुनर्वास विभाग के द्वारा खनिज परियोजनाओं के लिए एक पुनर्वास नीति का राजपत्र में 25 सितंबर 1991 को प्रकाशन कराया गया। इस नीति के तहत 1991 के बाद अर्जित की जाने वाली भूमि के खातेदारों को रोजगार एवं पुनर्वास प्रदान किया जाना है। जिसे मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 कहा जाता है। तत्कालीन समय में जिलाधीश एवं मध्यप्रदेश शासन के द्वारा रोजगार प्रदान करने आदेश प्रदान किए थे। जिसका पालन नहीं होने के कारण भूविस्थापित व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है। पीड़ित परिवार के लोग रोजगार प्रदान करने हेतु वर्षों से प्रबंधन, प्रशासन एवं शासन को आवेदन करते आ रहे हैं। निराकरण नहीं होने के कारण मजबूरन खदान बाधित करने के लिए विवश हो गए हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण 5 जून को खदान बंद करने वाले चार व्यक्तियों को जेल भेजा गया है। जेल भेजना किसी समस्या का हल नहीं है। शासन के आदेशों का पालन करवा कर उन सभी चारों व्यक्तियों को रोजगार प्रदान की जा सकती थी। इस तरह की घटना व्यवस्था की नाकामी है। भू विस्थापितों की जायज एवं संविधान सम्मत मांगो पर कार्यवाही नहीं होने के कारण भूविस्थापित आक्रोशित हैं, जिस पर शासन प्रशासन को तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

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