रेलवे में कर्मचारियों की बनी है कमी, 2 से ढाई हजार कर्मचारियों का काम कर रहे महज 1300 कर्मचारी

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रेलवे में कर्मचारियों की बनी है कमी, 2 से ढाई हजार कर्मचारियों का काम कर रहे महज 1300 कर्मचारी

कोरबा। रेलवे ऐसा पहला विभाग है जहां कार्यरत कर्मचारियों को समय पर अवकाश नहीं मिल पाता है। इसलिए वे अपने पारिवारिक कार्यक्रमों में भी शामिल नहीं हो पाते हैं। जिसके कारण बच्चों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। ड्यूटी शुरू होने से आधा या एक घंटा पहले उन्हें बताया जाता है कि आपकी छुट्?टी स्वीकृत हो गई है।शादी-विवाह या कोई फंक्शन होता है तब वे काफी तनाव में काम करने मजबूर होते हैं। इससे उनका मनोबल गिरता है।
रेल कर्मचारी अपनी व्यथा को भी ठीक से बयां नहीं कर पाते हैं। काम का इतना बोझ रेलवे प्रशासन थोप रखा है कि कर्मचारियों के साथ उनके परिजन भी उसमें दबते जा रहे हैं। जिसके कारण कर्मचारियों की मनोदशा नियंत्रित नहीं रह पाती है। इसका सीधा सा उदाहरण यह है कि कोरबा रेलखंड में 20 साल पुराना सेटअप के अनुसार काम चल रहा है। वर्तमान स्थिति यह है कि जहां 2 से ढाई हजार कर्मचारियों को काम करना चाहिए वहां महज 1300 कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं। उनका कहना है कि रेलवे प्रशासन उनसे काम तो ले रहा है लेकिन उनकी मूलभूत सुविधाओं के साथ उनके मौलिक अधिकारों का ख्याल नहीं रख पा रहा है। खासकर रनिंग स्टाफ, स्टेशन मास्टर इतने तनाव में काम कर रहे हैं कि जरा सी चूक हुई तो दुर्घटना होना निश्चित है। शनिवार को मेमू लोकल ट्रेन को कोल साइडिंग में भेजने की घटना संभवत: इसी का परिणाम मानी जा रही है। रेलवे कर्मचारियों पर काम के प्रेशर को इस बात से भी समझा जा सकता है कि रेल मंत्रालय हर साल कोई न कोई नया करने की जुगत में लगा हुआ है। नई तकनीक, रेल लाइन का विस्तार यात्री ट्रेनों के साथ मालगाडिय़ों का विस्तार। केवल मेन पॉवर का विस्तार नहीं हो रहा है। 25 साल पहले की बात करें तो कोरबा से 24 घंटे में मालगाड़ी व यात्री गाड़ी मिलाकर बमुश्किल 60 गाडिय़ां फेरा लगाती थीं वहां आज की स्थिति में 114 ट्रेनें दौड़ रही हैं।

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