लबालब हुए जलशय, खेतों को सिंचाई के लिए मिला पर्याप्त पानी, रबी फसल के लिए भी पानी की नहीं होगी टेंशन
कोरबा। खेतों में खरपतवार निंदाई का काम पूरा हो चुका है। फसल गभोट की स्थिति में आ चुकी है। सप्ताह भर बाद फसल में बालियां दिखाई देने लगेंगी। माइनर जलाशय के सिंचित रकबा में केवल धान ही नहीं बल्कि दलहन, तिलहन के अलावा सब्जी की भी खेती की जा रही है। अच्छी होने से जलाशयों में पानी संरक्षित रहेगा। जिसका उपयोग रबी फसल के दौरान की जा सकेगी।
सरकार ने इस बार एक नवंबर से धान खरीदी करने का निर्णय लिया है। बीते वर्ष की तुलना में इस बार बंफर फसल की संभावना है।मानसून में अब तक जिले के 40 जलाशयों में औसतन 76 प्रतिशत पानी का भराव पूरा हो चुका है। बीते वर्ष की तुलना में यह आठ प्रतिशत अधिक है। वर्षा का साथ होने से 11 जलाशयों में शत-प्रतिशत पानी भरने से ओवर फ्लो होने लगा है। वहीं 10 जलाशय ऐसे हैं जिनके जीर्णोद्धार की जरूरत है। जल संसाधन ने खरीफ वर्ष में 6,809 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य रखा है। खरीफ की शुरूआत से अब तक 4,581 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई सुविधा दी जा चुकी है।बेहतर वर्षा से इस वर्ष जलाशयों में जल भराव पूर्णता की ओर है। जिले के धौंराभांठा, लाफा, छुरीकला, चीताखोल, केहरानाला, मड़वाढोढ़ा, गुरसिया, केराकछार, कुंभीपानी, डोंगनाला पोड़ी, ऐसे जलाशय हैं जो अब तक हुई वर्षा से लबालब हो चुके हैं। दर्री, कटघोरा और पोड़ी उपरोड़ा की तुलना में करतला और कोरबा ब्लाक में कम वर्षा हुई है। खंड वर्षा का जलाशयों के भराव में असर बना हुआ है। तीन जलाशय जुलाई माह के दूसरे पखवाड़े में ही भर चुके थे। अधिकारियों की माने तो मानसून समापन की ओर है ऐसे में औसतन भराव 80 प्रतिशत पहुंच सकती है।
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10 में सीपेज के कारण पानी का भराव कम
जिले में 40 माइनर के अलावा मेजर के बांगो और दर्री दो जलाशय है। दोनों बड़े जलाशयों से जिले के खेतों को पानी नहीं मिलता। इनका उपयोग ज्यादातर उद्योग के लिए होता है। नहरों को विस्तार दिए जाने पर जलाशय से सिंचाई विस्तार की असीम संभावनाएं हैं। बांगो बांध में पिछले दो साल से पूरा भराव नहीं हुआ है। बांध अभी भी पूरी तरह भरने से ढाई मीटर दूर है। मानसून के समापन को देखते हुए माना जा रहा कि इस वर्ष भी भराव पूरा होने की संभावना कम है। बहरहाल जिले के 40 में दस ऐसे जलाशय हैं जिसमें जिसमें सीपेज के कारण 20 से 25 प्रतिशत ही पानी का भराव हुआ है। इनमें जमनीमुड़ा, बताती, अरदा, सहिलहापार, बनमुड़ा आदि शामिल हैं। सिंचाई सुविधा के उपयोगहीन इन जलाशयों में सुधार की आवश्यकता है।