अस्पतालों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश का नहीं हो रहा पालन, मरीजों से जांच व इलाज के नाम पर वसूल रहे मनमाना शुल्क
कोरबा। मरीजों को बेहतर और सही शुल्क पर इलाज मुहैया कराया जाना शासन प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके लिए एक मरीज के क्या अधिकार है सरकार ने तय किए हैं। हैरानी तो यह है कि इस बात पर कभी चर्चा हुई ही नहीं है। न तो किसी ने बताया और न किसी को कोई गरज रही। नियमानुसार निजी अस्पतालों या नर्सिंग होम्स में इसे लेकर बकायदा चार्ट चस्पा होने चाहिए। इसके बाद भी शहर के अधिकांश अस्पतालों में इसकी अनदेखी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यही वजह है कि मरीज आए दिन इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम प्रबंधनों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज को लेकर मनमानी के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव की ओर से 2 जून 2019 को सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया था कि इस बात की लगातार शिकायत मिल रही है कि स्वास्थ्य समस्याओं, खासकर बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों में कई प्रकार की अनियमिता बरती जा रही है। इसमें बिलिंग, व्यवहार, पारदर्शिता सहित दबाव व अन्य गंभीर विषय शामिल हैं। ऐसे में संविधान में प्रदत्त अनुच्छेद 47 के तहत लोक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य को मजबूत करने के लिए इस चार्टर का पालन जरूरी है। ताकि मरीज स्वयं अपने अधिकारों को जान जागरूक हो सकें। नेशनल काउंसिल फॉर क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट के तहत मरीजों के लिए 20 अधिकार तय किए गए हैं, पर इनमें प्रथम 13 पॉइंट का पालन सभी अस्पतालों को सख्ती से करने कहा गया है। नेशनल काउंसिल ऑफ क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट की ओर से स्वीकृत पेशेंट चार्टर के पालन को लेकर 2 जून 2019 को केंद्र के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने सभी राज्य के प्रमुख सचिवों को इसे लेकर पत्र जारी किया था। हैरान करने वाली बात यह है कि शहर में विभागों की ओर से तमाम प्रकार के अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है, लेकिन आज तक मरीजों के क्या अधिकार और दायित्व हैं, इसे लेकर किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक कि जो अधिकार हैं और नियम में है, उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है।
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मरीजों को देनी थी जानकारी
अस्पताल में पहुंचने पर जांच के बाद मरीज या उनके परिजनों को उनकी बीमारी ,संबंधित इलाज, जटिलताएं व खर्च के बारे में जानकारी देनी होगी। इलाज सुविधा व जांच का रेट चार्ट अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषा में प्रदर्शित करना होगा। अस्पतालों में यह जानकारी ऐसी जगह प्रदर्शित करनी होगी, जहां मरीजों व उनके परिजनों को आसानी से दिख सके। केस का पेपर, जांच रिपोर्ट व आयटमाइज्ड बिल अलग-अलग देना होगा, जिससे सब स्पष्ट रहे। सर्जरी, कीमोथेरेपी समेत सभी तरह के सर्जिकल इलाज यदि करने हों तो इसकी स्पष्ट जानकारी मरीजों को देनी होगी। अगर मरीज या उनके परिजन अस्पताल से संतुष्ट नहीं हैं तो दूसरे अस्पताल या डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं। इसके लिए जहां उस मरीज का इलाज चल रहा है, उस अस्पताल से सारी रिपोर्ट मरीज को सौंपनी होगी। यदि किसी महिला की जांच पुरुष डॉक्टर कर रहा है तो वहां एक महिला को साथ रखना होगा। एचआईवी मरीज से किसी प्रकार भेदभाव नहीं होना चाहिए। डेड बॉडी किसी भी कीमत में अस्पताल नहीं रोक सकता। अगर मरीज इलाजरत अस्पताल से असंतुष्ट होकर दूसरी जगह जाना चाहे तो भुगतान पर सहमति बनाते हुए जाने देना होगा।