उत्पादन और डिस्पैच के बाद अब भूमि अधिग्रहण भी हुआ डिजिटल
कोरबा। कोयला खदानों के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया काफी जटिल है। अधिग्रहण के वर्षों बाद भी भू विस्थापित रोजगार, मुआवजा और पुनर्वास से वंचित है। कागजी प्रक्रिया में समय लग रहा है। जिसकी वजह से ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिलता है। जनआक्रोश आंदोलन का रूप ले लेता है। जिसकी वजह से खदान के कामकाज प्रभावित हो जाते हैं। खदान विस्तार के कार्यों में भी व्यवधान पैदा होता है। अब इस समस्या से निपटने डिजिटल समाधानों की मदद ली जाएगी। एसईसीएल में भूमि अधिग्रहण प्रबंधन प्रणाली (एलएएमएस) का इस्तेमाल होगा। नए कोयला खदान से लेकर विस्तार परियोजना के लिए जमीन की जरूरत होती है। इसके लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। अधिग्रहित जमीन में शासकीय से लेकर ग्रामीणों की निजी जमीन शामिल होती हैं। अधिग्रहित जमीनों के लिए कोल इंडिया की पॉलिसी बनाई गई है। जिसके तहत अधिग्रहित भूमि के एवज में खातेदारों को रोजगार, मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने का प्रावधान है। भूमि अधिग्रहण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई विविध पहलू शामिल हैं। कोल इंडिया के प्रोजेक्ट डिजिकोल के तहत एसईसीएल द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को और कुशल बनाने के उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण प्रबंधन प्रणाली (एलएएमएस) को लागू किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण प्रबंधन प्रणाली सभी प्रमुख प्रक्रियाओं और सूचनाओं पर नजर रखती है। इस प्रकार एसईसीएल को तेजी से परिवार और संपत्ति सर्वेक्षण, मुआवजा योजना और पुनर्वास लाभ तैयार करने और बढ़ी हुई दृश्यता के कारण तेजी से वितरण सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती है। भूमि अधिग्रहण में किए जा रहे आधुनिकीकरण से खदान विस्तार को गति मिलेगी। साथ ही अधिग्रहण का लाभ ग्रामीणों को भी समुचित तौर पर मिलेगा। एसईसीएल द्वारा कोयला उत्पादन, डिस्पैच से लेकर सुरक्षा की दिशा में आधुनिकीकरण का इस्तेमाल किया जा रहा है। नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल जहां कोयला उत्पादन और डिस्पैच बढ़ाने में किया जा रहा है, वहीं कर्मियों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है। दूसरी ओर भूमि अधिग्रहण के मामलों में लंबित प्रकरण एसईसीएल प्रबंधन के लिए समस्या का सबब बने हुए हैं। जिनका निपटारा करने की कोशिश तो प्रबंधन की ओर से की जा रही है, लेकिन कागजी कार्यवाही और विभिन्न मामलों की वजह से आज भी मामले पेंडिंग हैं। ऐसे में आधुनिकीकरण के इस्तेमाल से कार्यों में तेजी लाई जाएगी। अधिग्रहण से जुड़े लंबित मामलों का निपटारा हो जाने से खदान विस्तार को गति मिलेगी। इससे एसईसीएल के कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। कोरबा में कोयल का अकूत भंडार है। जिसके खनन के लिए मेगा परियोजनाओं में अत्याधुनिक मशीनों को उतारा गया है, लेकिन विस्तार की रुकावटों के कारण कोयला उत्पादन में बाधा बनी हुई है। अधिग्रहण के मामलों में डिजिटल तकनीक एसईसीएल को मदद पहुंचाने तैयार है। एसईसीएल की 3 मेगा परियोजनाएं कोरबा जिले में संचालित है। गेवरा, कुसमुंडा और दीपका से कंपनी का 80 फ़ीसदी से अधिक कोयला निकाला जाता है। इन परियोजनाओं में भरपूर कोयला भंडार मौजूद है। अधिग्रहण की चुनौतियों के कारण कोयला उत्पादन व विस्तार में बाधाएं बनी हुई हैं। इसके बावजूद मेगा परियोजनाएं उत्पादन के कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। नई भूमि अधिग्रहण प्रबंधन प्रणाली से अधिग्रहण के मामलों का निपटारा होने से इन मेगा परियोजनाओं की उत्पादन गति को रफ्तार मिलने की पूरी उम्मीद है।