एसईसीएल के 1157 वाहनों की हो रही ट्रैकिंग, कोयला चोरी व अफरा तफरी पर अंकुश लगाने की कवायद
कोरबा। एसईसीएल कोयला उत्पादन, डिस्पैच के साथ परिवहन में अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। ओपन और भूमिगत खदानों में नई तकनीक से उत्पादन बढ़ाने की कवायद हो रही है, तो दूसरी ओर कोयला परिवहन में भी आधुनिकता का समावेश किया गया है। इसके लिए कंपनी ने 1157 वाहनों को ट्रैकिंग सिस्टम से लैस कर दिया है। जिससे वास्तविक समय पर निगरानी की सुविधा मिल रही है। इससे कोयला चोरी और अफरातफरी पर अंकुश लगने की पूरी संभावना है। एसईसीएल की खदानें छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश मेंl स्थित है। भूमिगत और ओपन कास्ट की खदानों से कोयला उत्पादन हो रहा है। जहां से कोयला का परिवहन सडक़ व रेल माध्यम से अलग अलग स्थानों में किया जा रहा है। सडक़ मार्ग से कोयला परिवहन में चोरी और अफरातफरी की शिकायतें मिलती रही है, जिसे देखते हुए कंपनी के 13 एरिया में कोयला परिवहन में लगे 1157 वाहनों को जीपीएस सिस्टम से लैस कर दिया गया है। जीपीएस की मदद से इन वाहनों की ट्रैकिंग की जा रही है। कोयला कहां से निकला है और वर्तमान में वाहन की क्या लोकेशन है, इसकी सटिक जानकारी मिल रही है। कोल इंडिया ने अपनी सभी अनुषंगी कंपनियों में कोयला परिचालन की जांच के लिए सीसीटीवी निगरानी और जीपीएस आधारित वीटीएस प्रणाली जैसी ई निगरानी स्थापित की है। एसईसीएल ने खदानों से डिस्पैच पाइंट तक कोयले की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सभी खदानों में वाहन ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया है। पंजीकृत वाहनों को आरएफ आईडी टै:क, जीपीएस उपकरण प्रदान किए गए हैं। वाहनों की आवाजाही पर जीपीएस की मदद से निगरानी और स्थापित नियंत्रण कक्षों से इसकी ट्रैकिंग की जा रही है। ट्रकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कार्यालयों, खदान लोडिंग पाइंट्स, वे ब्रिज, सीएचपी सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा रास्ते में पडऩे वाले चेकपोस्ट को भी तीसरी आंख की निगरानी से लैस किया गया है। बताया जाता है कि एसईसीएल में 15 सौ से अधिक स्थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। प्रबंधन का कहना है कि आधुनिक तकनीक की मदद से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मंशा है। बताया जा रहा है कि वाहनों को ट्रैकिंग सिस्टम से लैस करने के पीछे भी सोच है कि कोयला चोरी और अफरातफरी को रोकने के साथ ही मामलों को जीरो किया जा सके। सूत्र बताते हैँ कि जल्द ही और वाहनों को ट्रैकिंग सिस्टम से जोडऩे कवायद हो रही है।