किसानों के हित में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे लड़ाई, पाली पड़निया में किसान महासम्मेलन का हुआ आयोजन
कोरबा। कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफिल्ड लिमिटेड की खदानों के लिए अर्जित की जा रही लोगों की जमीन से दिक्कतें हो रही है। इनमें से अधिकतर किसान है और बाकी आम लोग हैं। पाली पड़निया गांव के दशहरा मैदान में रविवार को किसान महासम्मेलन में तय हुआ कि व्यापक हित के लिए सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया जाएगा।आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलहरण सारथी ने प्रेस वार्ता में बताया कि कानूनी स्थिति में एसईसीएल और प्रशासन प्रभावितों को बरगलाने का प्रयास कर रहा है। उन्हें मौजूदा आधार पर जमीन का मुआवजा व अन्य सुविधा देने की बात की जा रही है। जबकि पहले ही कहा जा चुका है कि यहां की जमीन अविभाजित मध्यप्रदेश के समय अर्जित की गई। चाहे उसका समाधान राज्य विभाजन के बाद हुआ है। इसलिए मुआवजा मध्यप्रदेश कानून के हिसाब से दिया जाना चाहिए। हमने तय किया है कि इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया जाएगा। महासम्मेलन में चंद्रनगर, सोनपुरी, रिस्दी, खोडरी, चुरैल, अमगांव, खैरभवना और पाली पड़निया के लोग शामिल हुए, जो कोयला खदान के कारण प्रभावित हुए हैं। सम्मेलन में भाग लेने के लिए विधिक जागरूकता के जानकार भगवान रहियाणी चेयरमैन फोरम फॉर फास्ट जस्टिस, प्रवीण पटेल महासचिव नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसायटी फॉर जस्टिस शामिल हुए। उन्होंने भू-विस्थापितों और किसानों के मामले में विभिन्न अधिकारों की जानकारी दी। उन्होंने कई तकनीकी पहलुओं पर फोकस किया। उनका कहना था कि इस रास्ते पर चलकर आगे की लड़ाई को लडऩा बेहतर होगा। कहा गया कि अनेक राज्यों में इस रास्ते को अपनाने के साथ लोगों को आखिरकार सफलता मिली। सम्मेलन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपना सहयोग किया। सम्मेलन में कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नूतन सिंह ठाकुर सभापति नगर पालिक निगम, ,मुख्य वक्ता भगवान रय्याणी राष्ट्रीय चेयरमेन फोरम फॉर फास्ट जस्टिस, प्रवीण पटेल राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसायटी फॉर फास्ट जस्टिस नई दिल्ली, जिला पंचायत सदस्य विनोद यादव, नंदलाल, जोगीराम पटेल, बलराम यादव सहित अन्य ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और किसानों व विस्थापितों के हितों का संरक्षण करने का संकल्प दोहराया। महासमेल्लन में ग्रामीणों ने यह बताया कि कोरबा जिला पांचवी अनुसूची जिला होने के बावजूद भी ग्राम पंचायत के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है। जैसे कि ग्राम सभा को भी महत्व नही दिया जा रहा है। खास कर उत्खनन क्षेत्र 1996 संशोधित कानून पेशा एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है जिसके कारण खनन क्षेत्र में किसानों को अपने मौलिक अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। जबकि पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना कोई भी उद्योग स्थापित नही होना चाहिए । जिसके कारण इस जिले के किसान अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं।किसान संवैधानिक , मौलिक अधिकार से वंचित हो रहे है। एसईसीएल द्वारा बिना मुआवजा दिए ही उनकी जमीनों को बल पूर्वक अधिग्रहण किया जा रहा है। ग्रामीण एसईसीएल को जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन मांग है कि मुआवजा आज के दर से दिया जाए। नौकरी तथा पुर्नवास की पर्याप्त व्यवस्था भी एसईसीएल प्रबंधन करे।