कोयला खदान में श्रम कानूनों की उड़ रही धज्जियां, गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में आए दिन हो रहे आंदोलन
कोरबा। कोयला खदान में श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ रही हैं। एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में कोल इंडिया की हाई पॉवर कमेटी द्वारा निर्धारित वेतन, वेतन पर्ची, पीएफ नंबर और आठ घंटे ड्यूटी की मांग को लेकर समय- समय पर आंदोलन चल रहा है। मगर संविदा मजदूरों की स्थिति में बदलाव नहीं आ रहा है। छोटी- छोटी ठेका कंपनियां आज भी 200 से 400 रुपए रोजाना देकर मजदूरी करा रही हैं। उन्हें अपना मजदूर भी नहीं मान रही हैं। जबकि बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियों की स्थिति थोड़ी अलग है। इसमें कार्यरत मजदूरों को हाईपॉवर कमेटी का वेतनमान मिल रहा है।
इसका खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनियों में काम करने वाले आउटसोर्सिंग के संविदा मजदूरों से संबंधित दस्तावेजों की जांच की है। इसमें बताया है कि अलग- अलग कोयला खदानों में काम करने वाले लगभग 65 फीसदी संविदा मजदूरों को कोल इंडिया की सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। यह मजदूर योजना में पीछे छूट गए हैं। जबकि सहयोगी कंपनियों में संविदा मजदूरों की संया 19 से 97 फीसदी के बीच है। सौंपे गए दस्तावेजों में खदानों में 8596 संविदा मजदूर कार्यरत हैं। इसमें 4370 मजदूरों को कोयला खान भविष्य निधि का संगठन का सदस्य बनाया गया है। 4226 मजदूरों को कंपनी की सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।खदान क्षेत्र में दुर्घटना होने पर मृतक के परिवार को 15 लाख रुपए आर्थिक सहायता राशि मिलने का प्रवधान है। यह राशि कंपनी संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी के बिल से काटकर देती है। इसके अलावा अन्य कई प्रकार की सुविधाएं मिलती है। यही कारण है कि बहुत कम आउटसोर्सिंग की कपंनियां संविदा मजदूरों को अपना कर्मचारी नहीं मानती हैं।