Thursday, November 21, 2024

कोयले के धुएं के आगोश में शहर, स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर, शाम होते ही शहर के मुख्य मार्गों पर विजिबिलिटी हो जाती है कम, प्रशासन के कई प्रयास, फिर भी नाकाम

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कोयले के धुएं के आगोश में शहर, स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर, शाम होते ही शहर के मुख्य मार्गों पर विजिबिलिटी हो जाती है कम, प्रशासन के कई प्रयास, फिर भी नाकाम

कोरबा। ठंड बढऩे के साथ ही शहरी क्षेत्र एक बार फिर कोयले के धुंए के आगोश में नजर आने लगा है। शाम होते ही झुग्गी-झोपड़ी व निचली बस्तियों में सिगड़ी सुलगना शुरू हो जाता है। आलम यह है कि शहर के गली-मोहल्ले से लेकर कई मुख्य मार्ग पर धुंए की वजह से कुछ मीटर की दूरी तक सामने साफ दिखाई ही नहीं देता है। यह जहरीली धुंआ हवा में घुल रही है, जो लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। घर पर खाना पकाने के लिए मिट्टी तेल और घरेलू गैस के दाम काफी महंगे हो गए हैं। इस बीच ठंड ने भी दस्तक दे दी है। ऐसे में महिलाएं खाना बनाने के लिए सिगड़ी का उपयोग कर रहे हैं। महंगाई के दौर में कम लागत पर परिवार चलाने के लिए सिगड़ी का उपयोग करना पड़ रहा है। लोगों को कोयला आसानी से 100 रुपए से लेकर 250 रुपए बोरी में मिल जाता है। इस कारण झुग्गी-झोपड़ी व श्रमिक बाहुल्य क्षेत्रों में सुबह व शाम होते ही खाना पकाने के लिए कोयला सिगड़ी सुलगाते हैं। इस सुलगते सिगड़ी से निकलने वाला धुंआ हवा में घुल रहा है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी बच्चे, महिला, बुजुर्ग व अस्वस्थ्य लोगों को हो रही है, लेकिन प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है। हालांकि जिला प्रशासन ने पहले भी शहर को धुंआ रहित बनाने के लिए कई प्रसाय किए हैं, लेकिन अधिकांश प्रयास विफल साबित हुए हैं। शहरी क्षेत्र के सर्वमंगला रोड, संजय नगर, सीतामढ़ी सहित कई ऐसे मुख्य मार्ग हैं, जहां पर सडक़ किनारे सिगड़ी जलती है। इस कारण मुख्य मार्ग धुंआ-धुंआ हो जाता है। विजिबिलिटी भी कम हो जाती है। दोपहिया व चार पहिया वाहनों के हेडलाइट होने के बाद भी कुछ मीटर की दूरी तक कुछ दिखाई नहीं देती है।
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इन क्षेत्रों में सबसे अधिक धुआं
शहरी क्षेत्र के संजय नगर, पुरानी बस्ती, मुड़ापार, सीतामढ़ी, मोतीसागर पारा, कुआंभ_ा, राताखार, तुलसीनगर, रामसागर पारा, पंप हाउस, मानिकपुर, पोड़ीबहार, शांतिनगर, फोकटपारा, रिस्दी सहित अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक कोयला सिगड़ी का उपयोग हो रहा है। उपनगरीय क्षेत्रों क्षेत्र के झुग्गी व झोपड़ी इलाकों में भी यही स्थिति है। ठेलों व टपरों में भी कोयले का उपयोग होता है।
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सफाईकर्मी कचरा उठाने की बजाए जला रहे, हवा में घुल रहा जहर
शहर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी लगातार कचरा जलाया जा रहा है। शहर में कर्मी सहित आमलोग जगह-जगह कचरा जला रहे हैं।इससे उडऩे वाली धुएं से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है, साथ ही हवा में विभिन्न गैसें घुल जाती है। बावजूद अब तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं की गई है। शहर में हर दिन जगह-जगह कचरा जलाया जा रहा है। इसके नुकसान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खुले में कहीं भी कचरा न जलाने का आदेश दिया हुआ है। आदेश के बाद भी इसका पालन शहर में नहीं हो पा रहा। जिला मुख्यालय में कभी भी कहीं भी कचरा जलते देखा जा सकता है। जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंद ली है। आम लोगों के साथ ही सफाई अमला भी कचरा जला रहा है। विडंबना ये है कि नगर निगम ने अब तक इस दिशा में एक भी कार्रवाई तक नहीं की है। इसका खामियाजा शहर में रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। रोजाना 10 से 15 जगहों में कचरा जलता है। कचरा जलाने वाले कोई और नहीं, नगर निगम के अलावा सीएसईबी और एसईसीएल के ही सफाईकर्मी है। जो खुलेआम कचरा जला रहे हैं। सबसे चौकाने वाले तथ्य यह है कि इक_ा हुए कचरे को जानबूझकर जलाया जा रहा है। अगर इक_ा हुए कचरे को न जलाएं तो उसे कचरा डंपिंग स्थल तक ले जाना पड़ेगा। जहां-तहां कचरा जलाकर परिवहन का खर्च बचाया जा रहा है। इधर कचरा डंपिंग स्थल पर भी कचरा जलाया जा रहा है।

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