Tuesday, October 14, 2025

गेवरा पेण्ड्रारोड रेल कॉरिडोर के काम में हो रही देरी, सेक्शन पर मिट्टी भरने का काम भी नहीं हुआ पूरा

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गेवरा पेण्ड्रारोड रेल कॉरिडोर के काम में हो रही देरी, सेक्शन पर मिट्टी भरने का काम भी नहीं हुआ पूरा

कोरबा। गेवरारोड से पेण्ड्रारोड के बीच इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के तहत बनाई जा रही 135 किलोमीटर लंबी रेल लाइन इस साल के अंत तक पूरी नहीं हो सकेगी। इसकी वजह काम की सुस्त रफ्तार है। इस सेक्शन पर मिट्टी भरने का काम पूरा नहीं हुआ है। पसान को छोडक़र गेवरारोड तक बीच-बीच में बनने वाले बड़े पुल को बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है।
इंडस्ट्रीयल कॉरिरोड के तहत गेवरारोड से पेण्ड्रारोड के बीच लगभग 135 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है। दोहरी रेल लाइन पर लगभग 5000 करोड़ रुपए खर्च होना है।यह लाइन कुसमुंडा से होकर गेवरा-दीपका के रास्ते पुटवा, मातिन होकर पसान होते हुए पेण्ड्रा तक जाएगी। इस लाइन को बनाने के लिए वर्ष 2014 में एसईसीएल और रेलवे ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ अनुबंध किया है। इसके बाद से इस रेल लाइन को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2024 तक इस लाइन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन काम की रफ्तार इतनी सुस्त है कि वर्ष 2025 के अंत तक लाइन पूरी होगी इसकी संभावना नहीं है। अभी तक दीपका से पुटीपखना के बीच का सेक्शन पूरा बनकर तैयार नहीं हुआ है। मोहनपुर, सिंघिया के रास्ते मातिन की तरफ जाने वाली लाइन का सेक्शन भी तैयार नहीं हुआ है। काम के नाम पर इस सेक्शन पर मिट्टी भरने का कार्य ही हुआ है। पुल-पुलिया बनाने के काम में देरी हो रही है। मातिन के पास नाला पर पुल निर्माण के लिए ठेका एजेंसी ने अंडरपास पर काम शुरू किया है। बरसात में पुलिया का निर्माण पूरा होगा इसकी संभावना बहुत कम है। पसान के पास रेल लाइन बिछाने के लिए अभी मिट्टी भरने का काम भी शुरू नहीं हो सका है। पेड़ पौधों को काटकर साफ किया गया है। इसके आगे पेण्ड्रारोड तक का हाल भी ऐसा ही है। रेल प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन ने 2024 तक इस लाइन को बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। काम की रफ्तार को देखकर 2026 से पहले लाइन का कार्य पूरा होगा इसकी उम्मीद कम है।
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देरी से कई तरह की हो रही समस्याएं
कोरबा से पेण्ड्रा के बीच नई रेल लाइन बिछाई जा रही है ताकि कोयला खदानों से निकलने वाले कोयले को मध्यप्रदेश के अलावा उत्तर भारत के अन्य राज्यों में आसानी से भेजा जा सके। लेकिन रेल लाइन के निर्माण कार्य में देरी से माल भेजने में परेशानी हो रही है। कोरबा के लोगों पर भी इसका ज्यादा असर पड़ रहा है। रेल फाटक बार-बार बंद हो रहा है और यात्री गाडिय़ां शुरू नहीं हो पा रही है।

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