झोलाछाप चिकित्सकों की बढ़ी सक्रियता, नहीं हो रही जांच, मरीजों की जान दांव पर, स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं कार्रवाई करने की फुर्सत
कोरबा। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के गली-मोहल्ले में झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं। बिना किसी चिकित्सकीय डिग्री और डिप्लोमा प्रमाण पत्र के मरीजों को दवाई और इजेक्शन दे रहे हैं। इससे मरीजों की जान दांव पर लगी हुई है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की फुर्सत नहीं है।
जिले में लगभग 250 ज्यादा पंजीकृत निजी अस्पताल व क्लिनिक हैं। हालांकि निजी अस्पतालों में महंगे इलाज की वजह से लोग झोलाछाप डॉक्टर चंगुल में फंस रहे हैं। दरअसल कई निजी हॉस्पिटल व क्लिनिक में बिना किसी डिग्री के कर्मचारियों से कार्य लिए जा रहे हैं। ये कर्मचारी कुछ दिनों की प्रेक्टिस से गली-मोहल्ला में सस्ते दर पर दवाईंया और इंजेक्शन दे रहे हैं। इस कारण ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान के लिए आफत बनी हुई है। यह केवर ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र के झुग्गी-झोपड़ी वाले गरीब बस्ती व गली-मोहल्ले में भी अधिक सक्रिय हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के पास इन झोलाझाप डॉक्टरों की जांच और कार्रवाई को लेकर फुर्सत नहीं है। इन झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान करना कार्रवाई करना स्वास्थ्य अमला के लिए चुनौती बनी हुई है।झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान को लेकर लोगों जागरूकता की कमी है। यही वजह है कि लोग इन डॉक्टरों के झांसे में आ रहे हैं। शासन की ओर से भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की कोशिश की है, लेकिन इसका पूरी तरह से लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। जिले में शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल के साथ छह सामुदायिक और 36 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इसके अलावा मोहल्ला क्लिनिक, मेडिकल मोबाइल यूनिट, हाट-बाजार सहित कई योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन डॉक्टर और सेटअप की कमी की वजह से लोग परेशान होते हैं। कई बार क्लिनिक व अस्पताल में डॉक्टरों की मौजूदगी नहीं होती। इस कारण मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। इस तरह की सबसे अधिक समस्या रात के समय होती है। वहीं लोगों में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज नहीं कराने को लेकर जागरूकता की कमी बनी हुई है।
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ग्रामीण की हुई थी मौत
गौरतलब है कि तीन दिन पहले झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से एक मरीज की मौत हो गई थी। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम गुरूद्वारी में रहने वाले भानू प्रताप ओट्टी की तबीयत तीन नवंबर हो खराब हो गई थी। उसके पेट में तेज दर्द हुआ। अस्पताल जाने के बजाए भानूप्रताप ने गांव में घूम-घूमकर इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टर करण कुमार से संपर्क किया। उसके इंजेक्शन लगाने से मरीज भानूप्रताप की तबीयत बिगड़ गई थी। इलाज के दौरान भानू प्रताप ने दम तोड़ दिया था।