डिप्टी सीएम के मुलाकात नहीं करने सियासी चर्चा हुई तेज, ननकी किए जा रहे नजरअंदाज, ना शासन सुन रहा ना प्रशासन
कोरबा। डबल इंजन की सरकार में आदिवासी कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर की सुनवाई नहीं हो रही है। उनकी शिकायतों पर जहां प्रशासनिक अमला गंभीरता नहीं दिखाता, वही उनकी ही पार्टी के मंत्री भी उनसे मुंह फेर रहे हैं। एक समय पार्टी की मजबूत कड़ी माने जाने वाले ननकी राम कंवर को अब सिरे से नाकार दिया जा रहा है? क्या उनका राजनीतिक वजन कम हो चुका है या फिर वजह कुछ और यह सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। ननकी को नजरअंदाज किए जाने का कुछ ऐसा ही मामला डिप्टी सीएम अरुण साव के प्रवास के दौरान भी नजर आया। इसके बाद से तो चर्चाओं को और बल मिल गया है। वाक्या ऐसा है कि पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर अपने समर्थकों के साथ उपमुख्यमंत्री अरुण साव से कलेक्टर कार्यालय मिलने पहुंचे थे। डिप्टी सीएम से मिलने का इंतजार करते कलेक्टर कार्यालय परिसर में अपनी गाड़ी में आधा घंटा बैठे रहे। अंदर संदेश भी भिजवाया कि ननकी राम कंवर मिलने आए हैं। उसके बाद जब अंदर से डिप्टी सीएम का कोई मैसेज नहीं आया तब उनको पता चला कि उप मुख्यमंत्री अरुण साव बैठक कक्ष के बाहर में लोगों से मिल रहे हैं। उस स्थान पर अपनी गाड़ी से उतरकर ननकी राम कंवर मिलने पहुंचे तो उप मुख्यमंत्री अरुण साव मुंह फेरते हुए अंदर चले गए। आखिर ननकी राम कंवर को उल्टे पैर वापस जाना पड़ा। सवाल उठता है कि अब भाजपा को क्या ननकी राम कंवर व उनके समर्थकों की जरूरत नहीं है? एक तरफ पार्टी के नेता नहीं सुन रहे हैं, दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी भी श्री कंवर को अनसुना करते रहे हैं। भ्रष्टाचार की शिकायतें कचरे के डिब्बे में डाल दी गई है। शासन हो या प्रशासन ननकी को शायद सभी हल्के में लेने लगे हैं। ननकी की इस हालत पर हिंदी फिल्म का यह गाना याद आता है कि ” नादाँ नासमझ, पागल दीवाना, सबको अपना माना, तूने मगर ये न जाना, मतलबी हैं लोग यहाँ, पर मतलबी ज़माना, सोचा साया साथ देगा, निकला वो बेगाना, बेगाना बेगाना, अपनों में मैं बेगाना, मतलबी हैं लोग……”।