तीन छात्रावासों के जल्द शुरू होने की उम्मीद, छात्रावास में 250 होगी सीटों की संख्या
कोरबा। जिले के तीन महाविद्यालय के चार छात्रावास में से तीन छात्रावासों के जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इन छात्रावास में सीटों की संख्या लगभग 250 है। भवन निर्माण के लगभग चार से 12 साल बाद छात्रावास के लिए जरूरी सामाग्री खरीदी हो चुकी है। इससे छात्राओं में छात्रावास शुरू होने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। जिले में हायर सेकंडरी के बाद उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं की रुचि बढ़ी है। वनांचल व ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की सुविधा के लिए अलग-अलग मदों से लगभग चार से 12 साल पहले चार छात्रावास
भवनों का निर्माण कराया गया था। लेकिन सेटअप और कर्मचारियों के कमी के अभाव में भवनों का उपयोग नहीं हो रहा था। इससे भवन खंडहर और जर्जर हो रहे थे। इसे जिला प्रशासन ने एक बार फिर लाखों रुपए खर्च कर चारों छात्रावास के भवनों का मरम्मतीकरण किया जा रहा है। यह काम अब अंतिम चरण पर है। इसके अलावा छात्रावास के लिए फर्नीचर, बेड सहित अन्य जरूरी सामाग्रियों की खरीदी की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि मरम्मत काम के लिए पीडब्ल्यूडी को कार्य एजेंसी बनाया गया है। पीजी कॉलेज को हैंडओवर हो चुके भवन को भी प्रबंधन ने मरम्मत के लिए फिर से वापस निर्माण एजेंसी को लौटा दिया है। अब प्रबंधन को भवन के हैंडओवर का इंतजार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पं. मुकुटधर पांडे शासकीय महाविद्यालय कटघोरा की 100 बेड वाली छात्रावास का भवन लगभग 12 साल पहले वर्ष 2012 में बनाया गया था, लेकिन अब तक शुरू नहीं हो सका था। देखरेख के अभाव में दरवाजे, खिडक़ी, स्वीच बोर्ड सहित सभी सामानों की चोरी हो गई थी। शासकीय पीजी कॉलेज की100 और 50 बेड वाली छात्रावास के दो भवन, मिनीमाता कन्या महाविद्यालय की 100 बेड वाली छात्रावास भवन शामिल हैं। इन भवनों के मरम्मत, सुरक्षा व्यवस्था के लिए बाउंड्रीवाल के साथ ही अन्य जरूरी कार्यों के लिए जिला खनिज न्यास मद से स्वीकृति दी गई है। इससे ग्रामीण व वनांचल क्षेत्र से शहर व उप नगरीय क्षेत्र के महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों को सुविधा मिलेगी। इससे उन्हें राहत मिलेगी। वर्तमान में उन्हें ग्रामीण व उप नगरीय क्षेत्र के लगभग 30 से 40 किलोमीटर से अधिक दूरी से आवाजाही करना पड़ रहा है। कई ऐसे भी विद्यार्थी हैं, जो 60 से 70 किलोमीटर की दूर में रहते हैं। ऐसे में इन विद्यार्थियों के लिए नियमित सफर कर उच्च शिक्षा प्राप्त करना संभव नहीं होता। इस कारण छात्र-छात्राओं को प्रवेश के बाद महाविद्यालय के आसपास किराए का मकान लेेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। तब जाकर बड़ी मुश्किल से मकान मिलता है। पीजी कॉलेज प्रबंधन को दो में से एक छात्रावास का हैंडओवर पहले ही प्राप्त हो चुका था। लेकिन जरूरी सामाग्रियां और सेटअप के अभाव में छात्रावास शुरू नहीं हो सका। इस बीच भवन के खिडक़ी, दरवाजे सहित अन्य टूट-फूट गए थे। इसके अलावा सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल नहीं हुआ था। इस कारण छात्रावास शुरू करने में देरी हो रही थी।