तेंदूपत्ता खरीदी का 1 मई से होगा श्री गणेश, तैयारी पूरी, 5500 रुपये मानक बोरी की दर से होगी खरीदी
कोरबा। 1 मई से तेंदूपत्ता खरीदी शुरू हो जाएगी।5500 रुपये मानक बोरी की दर से खरीदी की जानी है। जिले में 38 समितियां और 34 लॉट है। हर लॉट का अलग अलग दर पर नीलामी हुआ है। लेमरू के तेंदूपत्ता की नीलामी दर ज्यादा है। तेंदूपत्ता संग्रहण से पूर्व शाख कर्तन सहित अन्य तैयारियां शुरू कर दी गई थी। अब फड़ों में तेंदूपत्ता संग्रहण और खरीदी का कार्य शुरू किया जाएगा। नीलामी में कई समितियों को दोगुना लाभ मिलेगा।लेमरू समिति के लिए 11000 रुपये तक बोली लगाई गई है। तेज कडक़ती धूप में कड़ी मेहनत कर हरा सोना यानी तेंदू पत्ता का संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को इस बार दोगुना फायदा होगा। राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरे की सरकारी दर 5,500 रुपये निर्धारित की है। नीलामी के दौरान बेहतरीन क्वॉलिटी के कारण कोरबा वन मंडल के 36 समितियों में लेमरू और विमलता के तेंदूपत्ता 11 हजार रुपये प्रति मानक बोरी के दर से बिके है। अधिक दर पर पत्तों की खरीदी का सीधा लाभ संग्राहकों को मिलेगा। उन्हें दोगुना दाम मिलेगा। तेंदूपत्ता को हरा सोना कहा जाता है, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए यह कहावत वास्तव में चरितार्थ होती है, तेंदूपत्ता यहां सोने जैसा है। कोरबा के घने और समृद्ध जंगलों में जो तेंदूपत्ता मिलता है, उसकी क्वॉलिटी के कारण इसकी डिमांड देश भर में रहती है। मार्च के पहले सप्ताह में ही वन विभाग समितियों के माध्यम से शाख की कटाई, छंटाई की जाती है. इसके दो माह बाद अप्रैल के अंत और मई के शुरुआत में पौधों से जो नए कोमल पत्ते निकल आते हैं। उसकी खरीदी शुरू हो जाती है। यह पत्ता बीड़ी उद्योग के लिए उपयोगी होता है। संग्रहण कार्य से जुड़े अकेले कोरबा वन मंडल के 48 हजार वनवासी परिवारों को इस वनोपज से लाभ मिलता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2023 में तेंदूपत्ता का सरकारी दर 5000 रुपये प्रति मानक बोरा निर्धारित किया था। साल 2024 में इसे बढ़ाकर 5500 रुपये किया गया है। शासन ने इस दर को 2025 के लिए भी यथावत रखा है। कोरबा वनमंडल को 53 हजार 800 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य मिला हुआ है। कोरबा की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में की जाती है, तो दूसरी तरफ कोरबा के समृद्ध जंगल भी काफी खास हैं। जिले का करीब 60 फीसदी हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। जहां उगने वाले तेंदूपत्ते की मांग छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के कई राज्यों में हैं।