धान की फसलों पर मंडराया गंधी बग का खतरा, कई क्षेत्रों में चूहों की समस्या से किसान परेशान
कोरबा। इन दिनों धान के खेत हरियाली से भरपूर हैं और बालियां नजर आने लगी हैं। ऐसे में बदलते मौसम के साथ कीड़ों और बीमारियों के खतरे से निपटना लाजमी हो जाता है। इनमें गंधी बग नामक कीट किसानों के लिए मुसीबत बन रहे हैं, जो धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाने वाला एक कीट है। यह दानों का रस चूसकर उन्हें खोखला और भुरभुरा बना देता है, जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों घट जाती। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों से चूहे की समस्या भी सामने आ रही है। खेतों में चूहे वर्ष भर रहते हैं, लेकिन बालियां आने के बाद इनकी संख्या कई गुना बढ़ जाती है। पहले चूहे धान के नरम पौधों को नीचे से काटते हैं और बाली आने के बाद सीधे दानों पर हमला बोल रहे हैं। ज्यादातर चूहों की समस्या ड्राई एरिया में होती है। गंधीबग से फसल की सुरक्षा के लिए फेनवल रेट 20 ई सी दवाई का प्रयोग किया जा सकता है। यह कीट अपने शरीर से एक तीखी बदबू छोड़ते हैं, जिसके कारण इन्हें पहचाना जा सकता है। गंधी बग के नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह अनुसार रासायनिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, साथ ही नीम के तेल के छिडक़ाव और खेतों के आस-पास के खरपतवारों को हटाने जैसे जैविक उपाय भी किए जा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार चूहों के बढऩे का कारण पूरे क्षेत्र में एक साथ चूहा नियंत्रण प्रयास नहीं होना है। चूहे प्रति एकड़ 50 किग्रा तक की फसल चट कर सकते हैं। ऐसे में व्यापक अभियान की आवश्यकता महसूस हो रही है। किसान अपनी फसल बचाने की जुगत में अपने खेतों में दवा प्रयोग तो करते हैं पर सामूहिक प्रयास नहीं होने पर जो किसान दवा छिडक़ता है, वहां के चूहे अगल-बगल के खेतों में पनाह ले लेते हैं। चूहों की ज्यादातर समस्या ड्राई एरिया में होती है। ऐसे में अगर संभव हो तो खेतों में पूरा पानी भर देना चाहिए, जिससे इस समस्या को रोकने में मदद मिलती है।