Thursday, November 21, 2024

नरईबोध गोलीकांड की बरसी पर कुसमुंडा मुख्यालय का घेराव, जान गंवाने वाले भूविस्थापितों को दी गई श्रद्धांजलि

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नरईबोध गोलीकांड की बरसी पर कुसमुंडा मुख्यालय का घेराव, जान गंवाने वाले भूविस्थापितों को दी गई श्रद्धांजलि

कोरबा। नरईबोध गोलीकांड में दो भूविस्थापितों ने अपनी जान गंवा दी थी, जिसकी 26वीं बरसी पर शुक्रवार को किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापितों ने जान गंवाने वाले भूविस्थापित गोपाल, फिरतू दास को श्रद्धांजलि अर्पित कर कुसमुंडा कार्यालय का घेराव शुरू कर दिया। भूविस्थापितों ने लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण, बसावट,जमीन वापसी की मांगो को लेकर भू विस्थापितों ने संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया गया। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 11अगस्त 1997 में एसईसीएल कुसमुंडा खदान के लक्ष्मण परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का ग्रामीणों द्वारा शांति पूर्ण विरोध किया जा रहा था। विरोध कर रहे ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच शांतिपूर्ण वार्तालाप के दौरान चुपचाप और निहत्थे बैठे किसानों के उपर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए एसईसीएल को जमीन सौंपने के लिए पुलिस ने गोली चलवा दी थी। जिसमें दो भूविस्थापित गोपाल एवं फिरतु दास की मौत हो गयी और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शासक वर्ग की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर कार्यवाही के बदले गांव के ही निर्दोष 29 लोगों के उपर कार्यवाही कर दीं थी। गोलीकांड में एसईसीएल प्रबंधन,प्रशासन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार का हाथ था। गोपाल एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि उसी कुसमुंडा मुख्यालय के कार्यालय का घेराव किया गया। इस श्रद्धांजलि अर्पित कायक्रम और कार्यालय घेराव में 50 से अधिक गांव के भूविस्थापित किसान शामिल हुए। किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। अब अपने अधिकार को छिन कर लेने का समय आ गया है। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए। विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है।
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647 दिनों से चल रहा धरना प्रदर्शन
लंबित मांगों को लेकर 31अक्टूबर 2021 को कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 647 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। इसके बाद भी अब तक उनकी लंबित मांगों को एसईसीएल ने पूरा नहीं किया है।
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यह है प्रमुख मांग
0 वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के पुराने लंबित मामलों का निराकरण।
0 खदान बंद हो जाने अथवा अनुपयोगी होने पर पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापसी।
0 अर्जित गाँव से विस्थापन से पूर्व उनके पुनर्वास स्थल की सर्वसुविधायुक्त व्यवस्था।
0 आउट सोर्सिंग कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार।
0 महिलाओं को स्व रोजगार योजना के तहत रोजगार।
0 पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापितों को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा।

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