नर्मदा के पावन तट पर हरे माधव परमार्थ पंथ के उन्नायक हरिराया सतगुरु बाबा ईश्वरशाह का सत्संग सम्पन्न, दूर दूर से पहुंचे श्रद्धालु
कोरबा/अमरकंटक। हरे माधव परमार्थ पंथ के उन्नायक हरिराया सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का 11 अप्रैल 2025 को भव्य शोभायात्रा के साथ नगर आगमन हुआ। हजारों भक्तों के साथ सतगुरु जी मृत्युंज्य आश्रम में पधारे, जहां आश्रम के निवासियों एवं सभी संगतों ने सतगुरु जी का अभिनंदन परमत्व रूपम्, विदेही मुक्तम् आरत के साथ किया। अमरकंटक नगरी में रहने वाले पूज्य साधुजनो ने भी गुरुवंदना के श्लोक, मंत्रोच्चचार कर हरे माधव महाराज जी का वंदन स्वागत किया। अगले दिन 12 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र के विभिन्न नगरों, गांवों से हजारों की तादाद में संगतों के विशाल समूह पहुंचने लगे। सभी के रहवास की व्यवस्था समिति द्वारा अमरकंटक के समस्त आश्रमों में रखी गई थी। कई दिनों पूर्व से हरे माधव परमार्थ सत्संग समिति के सेवादार हरे माधव सत्संग की तैयारियां कर रहे थे। 12 अप्रैल 2025 को सायं 06 बजे से मां नर्मदा के तट रामघाट पर विशाल हरे माधव सत्संग का आयोजन हुआ। सत्संग की शुरूआत हरे माधव सग्रंथ की वाणी अरदास मेरे सतगुरां हम शरण तेरी आए के साथ हुई। हरे माधव का तिलक लगा सभी संगतें सत्संग में पहुँचने लगीं। कुछ देर बाद सतगुरु जी का आगमन सत्संग में हुआ। हरे माधव रूहानी बालसंस्कार के छत्तीसगढ़ शाखाओं के बच्चों ने महाराज जी का वंदन नमन किया। इसके पश्चात् सत्संग वचन प्रारंभ हुआ।भजन सिमरन की कमाई वाले पूरण सतगुरु की भक्ति श्रद्धाभाव प्रेमाभाव धर करने से अनंत असीम पुण्य फल प्राप्त होते हैं। आप जितना अपने बुद्धि-चित्त को पूरण सतगुरु की भाव भक्ति से भरते हो, आपकी दशा उतनी आनंदित होती है। अंसार कितना भी आधुनिक हो जाए, चाहे युग परिवर्तन हो जाएं लेकिन एक सत्य जो परिवर्तन रहित है, वह है जीवनमुक्त सतगुरु की शरण। समय के आरंभ से ही जीवनमुक्त सतगुरुओं का महातम बढ़-चढ़ कर गाया गया है। चाहे वह निमित्त अवतारों का जीवनमुक्त सतगुरुओं की शरण में जाना हो, या फिर भगवान शिव जी का गुरु गीता में माता पार्वती जी को पूरे संतन सतगुरु की अनंत महातम वर्णन हो। भगतिमय श्रीवचन श्रवण कर, श्रीदर्शन कर संगतों ने जीवन का असल सार एवं घट में दिव्य प्रकाश पाने की सांची युक्ति पाई। सत्संग पश्चात् एल. ई. डी. स्क्रीन पर सतगुरु जी की तारणहार, मोक्षदायक लीलाओं के दर्शन संगतों ने किए। सत्संग पश्चात् हरे माधव ब्रम्ह भोज (भंडारा) सम्पन्न हुआ। भक्तजन जहाँ सतगुरु जी के वचनों से कृतार्थ हो रहे थे, वहीं अमरकंटक में स्थित विविध तीर्थस्थल कपिलधारा, श्री नर्मदा उद्गम स्थल, ऋषि महर्षियों के साधना स्थलों के दर्शन को भी पहुँच रहे थे। सतगुरु जी के अमरकंटक सत्संग का एक उद्देश्य यह भी रहा कि आज के आधुनिक समय में भी इन पवित्र तीर्थों से सब जुड़े रहें। यह हमारे भारत देश के अमूल्य धरोहर हैं।जहाँ हर कोई पर्यटन कर रहा था, इतिहास से जुडी जानकारियां ले रहे थे, वहीं मौसम में सुबह से नमी सी बनी हुई थी। यहां के रहवासियों ने बताया कि युगान्तरों से जब-जब पूरण पुरुख सतगुरु, चेतन ब्रह्मस्वरूप अमरकंटक की इस भूमि पर पदार्पण करते है, तब- तब समूची प्रकृति पुलकित हो उठती है। मेघ उमड़ पड़ते हैं। वर्षा की बूंदें अवश्य बरसती हैं। ऐसा ही हुआ भी। एकाएक भारी बारिश शुरू हो गई। भारी बारिश से सत्संग की व्यवस्थाएं थोड़ी बिगड़ी। लेकिन सतगुरु जी की कृपा से बारिश थम गई और आकाश पूरा साफ हो गया। सेवादार जन पुन सत्संग की तैयारी में जुट गए और देखते ही देखते रात्रि लगभग 08:00 बजे हरे माधव सत्संग प्रारंभ हुआ.।कुछ ही देर बाद सतगुरु साहिबान का आगमन हुआ। हरे माधव रूहानी बालसंस्कार के बच्चों द्वारा श्रीचरण वंदना की गई। इसके पश्चात् संगतों ने हुजूर महाराज जी की आरत वंदन कर पुण्य फलों को प्राप्त किया। आप गुरु महाराज जी ने अपने श्रीमुख से पावन अमृत वचनों में अमरकंटक की धरा पर हरे माधव सतगुरुओं की हुई कई लीलाओं को प्रकाशमय किया कि आदिकाल से जंगम तीर्थ पूरण साधुजन, स्थावर तीर्थ पर आकर अनेक लीलाएं रचते रहे हैं, जिसका गहन प्रताप है। सत्संग पश्चात् संगतों के भारी हुजूम के साथ सतगुरु महाराज जी रामघाट दक्षिण तट पर पहुंचे, जहां पर मां नर्मदा जी की महाआरती की गई। महाआरती में सभी संगतों संग हरिराया सतगुरु महाराज जी ने लाल चुनर ओढ श्री नर्मदा जी की महाआरत किया। श्री नर्मदा आरत यूं तो समय समय पर इस पवित्र पावन स्थान, तट पर होती है पर सतगुरु जी की हुजूरी में नर्मदा आरत का अनुभव आलौकिक दुर्लभ आनंद से परिपूर्ण था। महाराज जी ने कहा कि यह सारी पावन नदियां हरे माधव प्रभु की परम धरोहर है, जिसके द्वारा समस्त जनमानस एवं जीव जंतुओं के पालन पोषण के साथ लोगों के कर्म संताप भी हल्के होते हैं। इन्हें संरक्षित करना, इनका वंदन करना हम सभी का पर कर्त्तव्य है। आरत वंदन में अमरकंटक के कई गणमान्य नागरिकों के साथ हजारों की संगतें, भगतजन उपस्थित रहे। आरत पश्चात् हरे माधव पवित्र मंत्रोच्चार श्री नर्मदा तट पर हुआ। एक-एक मंत्र, एक-एक सतगुरु शबद के जाप के साथ अंतर मे आलौकिक दैवीय ऊर्जा का संचार हो रहा था।