Friday, May 16, 2025

प्रत्याशियों की घोषणा 25-26 तक संभावित, 31 को नाम वापसी के बाद प्रचार करने मिलेंगे सिर्फ 11 दिन

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प्रत्याशियों की घोषणा 25-26 तक संभावित, 31 को नाम वापसी के बाद प्रचार करने मिलेंगे सिर्फ 11 दिन

कोरबा। निगम चुनाव की घोषणा के साथ ही शहरी सरकार के लिए हलचल तेज हो गई है। इस बार चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को बहुत कम समय दिया है। चुनाव की घोषणा से मतदान की तारीख के बीच महज 21 दिनों का समय है। महापौर के सहित पार्षद पद के दावेदारों ने तेज लॉबिंग शुरू कर दी है।दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल 25 से 26 जनवरी के बीच ही प्रत्याशियों की घोषणा करेगी। नामों की घोषणा के बाद नामांकन दाखिल करने और नाम वापसी इत्यादि में चार से पांच दिन निकल जाएंगे। सभी प्रत्याशी एक-दो फरवरी से ही पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर पाएंगे। मतदान के 48 घंटे पहले प्रचार थम जाएगा। लिहाजा प्रत्याशियों को प्रचार-प्रसार के लिए केवल 10 से 11 दिन का ही समय मिलेगा। प्रचार के लिए कम समय मिलने के कारण अधिकांश दावेदार अभी से चिंता में है। इस बार वार्डों का परिसीमन भी हुआ है। कई वार्डों में मतदाता कम हो गए हैं तो कई में दूसरे वार्डों के मतदाता जोड़े गए हैं। इस वजह से परिसीमन से प्रभावित वार्ड के दावेदारों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। आरक्षण के कारण भी कुछ वार्ड सामान्य से महिला हो गए हैं। इसलिए बहुत से लोग महिलाओं को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। जो परिवार की महिला सदस्य को चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं है, वे अब दूसरे वार्डों से दावेदारी कर रहे हैं। इधर, नए दावेदारों ने आवेदन शुरू कर दिया है। इस बीच कुछ दावेदारों का कहना है कि कम समय होने के कारण खर्च कम होगा और प्रत्याशी पूरी शिद्दत के साथ प्रचार-प्रसार कर पाएंगे। आमतौर पर ज्यादा समय होने पर प्रत्याशी प्रचार में ढिलाई करते हैं और आखिरी के 10-15 दिनों में ही युद्ध स्तर पर भिड़ते हैं। इस बार कम समय मिलने के कारण प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा डोर टू डोर जनसंपर्क करेंगे। होर्डिंग, बैनर और प्रचार के अन्य माध्यमों पर कम खर्च करना पड़ेगा। दावा किया जाता है कि नगर निगम चुनाव में ज्यादातर प्रत्याशी भारी भरकम खर्च करते हैं।इस बार वार्ड पार्षदों के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 8 लाख तय है। पिछले चुनाव में खर्च की सीमा 5 लाख रुपए थी। निगम के चुनाव में डेढ़ से ढाई सौ वोटों के अंतर से परिणाम निकल आते हैं। कम मतदाता होने के कारण नगर निगम के वार्ड का चुनाव विधानसभा और लोकसभा से भी ज्यादा टफ माना जाता है। दोनों ही उच्च सदन के चुनाव में पार्टी का सिंबल निर्णायक होता है, लेकिन वार्ड चुनाव में प्रत्याशी का चेहरा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए करीब दर्जनभर वार्ड में पिछले चुनाव में महज दो से ढाई सौ वोटों के अंतर से ही प्रत्याशियों के बीच जीत-हार का फैसला हुआ है।

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