भाजपा की चारों सीट पर प्रत्याशी तय, टिकट बंटवारे का गणित कहीं न पड़ जाए उल्टा
कोरबा। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही छत्तीसगढ़ सहित देश के पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी ने चुनावी-रण में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली है।विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के कुछ घंटे बाद ही बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के 64 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। कटघोरा से पटेल मरार समाज को साधने के लिए प्रेमचंद्र पटेल को पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है।कांग्रेस ने अब तक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नही की है। बावजूद इसके बीजेपी ने जिस तरह से कोरबा और कटघोरा की सामान्य सीट में जाति समीकरण को साधने के फार्मूेले पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल किये है, उससे पार्टी की जीत का समीकरण बिगडऩे के साथ ही चुनावी रण काफी चुनौती भरा होना तय माना जा रहा है।
कोरबा जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां 4 विधानसभा सीटों में हमेशा से ही एक सीट पर बीजेपी और बाकी के 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। बीजेपी की पहली लिस्ट में पार्टी ने कोरबा विधानसभा से लखनलाल देवांगन को अपना प्रत्याशी बनाया है। लखनलाल देवांगन इससे पहले साल 2013 में कटघोरा से विधायक थे। साल 2018 के चुनाव में देवांगन को कांग्रेस पार्टी के पुरषोत्तम कंवर से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन मौजूदा चुनाव में पार्टी ने ओबीसी कार्ड को खेलते हुए लखनलाल देवांगन को कटघोरा की जगह कोरबा की सामान्य सीट से संभावित राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में प्रोजेक्ट किया है, लेकिन बीजेपी की दूसरी लिस्ट सामने आते ही बीजेपी के टिकट बंटवारे को लेकर चर्चाए तेज हो गयी है।दूसरी लिस्ट में बीजेपी ने कटघोरा विधानसभा की सामान्य सीट से प्रेमचंद्र पटेल को प्रत्याशी बनाकर पटेल-मरार समाज को साधने की कोशिश की है। राजनीतिक जानकारों की माने तो साल 2013 में कटघोरा विधानसभा में कांग्रेस विधायक बोधराम के खिलाफ जमकर नाराजगी थी, जिसका फायदा बीजेपी के लखनलाल देवांगन को मिला था। कुछ ऐसे ही हालत मौजूदा वक्त में कांग्रेस विधायक पुरषोत्तम कंवर को लेकर है। स्थानीय स्तर पर विकास कार्यो की धीमी गति और कटघोरा को जिला बनाने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों में कांग्रेस विधायक से गहरी नाराजगी थी। ऐसे में राजनीतिक जानकारों की माने तो यदि कटघोरा से लखनलाल देवांगन को पार्टी दोबारा मौका देती, तो इसका फायदा बीजेपी को हो सकता था। लेकिन पार्टी ने पटेल मरार समाज को साधने के लिए नये प्रत्याशी प्रेमचंद पटेल को अपना कैंडिडेट बनाया है।ऐसे में कटघोरा विधानसभा सीट से बीजेपी के लिए जीत दर्ज करना चुनौती भरा होगा। ठीक इसी तरह कोरबा विधानसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का टिकट लगभग फाइनल माना जा रहा है। ऐसे में पिछले 3 विधानसभा चुनाव से लगातार जीत दर्ज कर रहे जयसिंह अग्रवाल को चुनाव में पटखनी दे पाना लखनलाल देवांगन के लिए भी काफी चुनौती भरा रहेगा। कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरबा में बीजेपी के टिकट बंटवारे का गणित कहीं उल्टा ना पड़ जाए। ऐसा हुआ तो खामियाजा कोरबा के साथ पार्टी को कटघोरा सीट पर भी उठाना पड़ सकता है।
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उईके पर पार्टी को जीत का भरोसा
बात करे तानाखार सीट से तो इस सीट पर कांग्रेस में रहे रामदयाल उईक का एक वक्त तक एकाधिकार था। रिकार्ड वोटों से जीतने वाले उईके ने साल 20218 में कांग्रेस छोडक़र बीजेपी ज्वाइन कर घर वापसी कर ली थी। जिसका खामियाजा उन्हे हार का सामना कर चुकाना पड़ा।चुनाव के बाद लोगों से चर्चा में ये बात भी सामने आयी कि लोगों ने रामदयाल उईके को ही कांग्रेस प्रत्याशी समझकर वोट दिया था, लेकिन तब प्रत्याशी बदल चुका था। लिहाजा मौजूदा कांग्रेस विधायक मोहिराम केरकेट्टा को लेकर लोगों में जमकर नाराजगी है। वहीं दूसरी तरफ रामदयाल उईके ने पिछले 5 सालों में तानाखार क्षेत्र में ग्राउंड जीरों पर जाकर अपनी एक अलग पहचान बनाने के साथ ही खुद की पहचान बीजेपी प्रत्याशी के रूप में बनाने का भी प्रयास किया है। बीजेपी प्रत्याशी रामदयाल उईके अपनी मजबूत पकड़ के साथ इस बार कांग्रेस प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सकते है।
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रामपुर में जीतते रहे हैं ननकीराम
रामपुर विधानसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ रहा है। यहां से वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री रहे ननकीराम कंवर साल 2013 का चुनाव छोड़ दे तो लगातार चुनाव जीतते आये है। मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने उम्रदराज ननकीराम कंवर पर भरोसा जताया है। रामपुर विधानसभा में कंवर और राठिया मतदाताओं की अधिकता है। लेकिन हर बार एैन चुनाव से पहले राठिया मतदाताओं में दो फाड़ हो जाने का सीधा लाभ ननकीराम कंवर को मिलता आया है। ऐसे में इस बार कांग्रेस इस सीट से राठिया समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बना सकती है। बावजूद इसके ननकीराम की जमीनी पकड़ के सामने इस सीट पर कांग्रेस के लिए अपनी जीत तय कर पाना कड़ी चुनौती होगी।
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कांग्रेस की सूची के बाद होगा घमासान
छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके में दूसरे चरण में मतदान होना है। फिलहाल चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। इस बीच बीजेपी जहां अपने शेष बची 5 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने में जुट गयी है, वही अब जल्द ही कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद चुनावी घमासान और भी तेज होने की उम्मीद है। ऐसे में चुनाव नतीजे क्या होते है और जनता किस पर अपना भरोसा जताती है ? ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।