Saturday, July 26, 2025

भारी बारिश के कारण किसानों ने बदला खेती का तरीका, खुर्रा और रोपा पद्धति की बजाय लैहरा तकनीक से कर रहे खेती

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भारी बारिश के कारण किसानों ने बदला खेती का तरीका, खुर्रा और रोपा पद्धति की बजाय लैहरा तकनीक से कर रहे खेती

कोरबा। इस साल हुई अप्रत्याशित भारी बारिश ने कोरबा जिले के किसानों को धान की बुआई के पारंपरिक तरीकों से विमुख कर दिया है। खेतों में पानी के अत्यधिक भराव के कारण, आमतौर पर खुर्रा और रोपा पद्धति से खेती करने वाले अन्नदाताओं को अब लैहरा नामक एक अनूठी तकनीक का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसमें अंकुरित धान का छिड़काव किया जा रहा है। यह बदलाव किसानों के लिए एक चुनौती है, क्योंकि लैहरा पद्धति से पैदावार औसत से कम होती है। किसान अर्जुन सिंह बताते हैं कि कोरबा में किसान अमूमन खुर्रा और रोपा पद्धति से धान की बुआई करते हैं, लेकिन इस बार खेतों में अधिक पानी भरा होने के कारण उन्हें यूनिक तरीके से खेती करनी पड़ रही है। खेतों में कोपर चलाकर उन्हें कीचड़युक्त बनाया जा रहा है और फिर इसमें अंकुरित धान छिड़का जा रहा है। इस पद्धति को ही लैहरा कहा जाता है।अर्जुन सिंह स्वीकार करते हैं कि लैहरा तकनीक से धान की पैदावार औसत से कम होती है, मगर खेतों में अधिक जल भराव के कारण किसानों के पास कोई और विकल्प नहीं है। वे इस मजबूरन तरीके से ही धान की खेती कर रहे हैं। इस आषाढ़ माह में कोरबा में भारी बारिश दर्ज की गई है। नदी-नाले और खेत-खलिहान पानी से लबालब हैं। अतिवृष्टि से जनजीवन तो प्रभावित हुआ ही है। भारी बारिश ने सामान्य खेती का पूरा समीकरण बदल दिया है। इस बार जिले में 1 लाख 37 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लेने का लक्ष्य है, जिसमें से अब तक 40 हजार हेक्टेयर से अधिक की बुआई हो चुकी है। पारंपरिक रूप से कोरबा के किसान खुर्रा और रोपा पद्धति से धान की बुआई को प्राथमिकता देते हैं।
खुर्रा बोनी के बाद बियासी और निदाई जैसे अतिरिक्त कार्य करने पड़ते हैं, जबकि रोपा यानी सीधे खेतों में धान के पौधे लगाने वाली विधि में किसानों को पौधारोपण के बाद अपेक्षाकृत कम देखभाल करनी पड़ती है और इसमें पैदावार भी अधिक होती है। हालांकि इस साल अप्रत्याशित बारिश ने किसानों को अंकुरित धान की बुआई कर इस यूनिक तरीके को अपनाने पर मजबूर कर दिया है। अब अन्नदाताओं को उम्मीद है कि मौसम उनका साथ देगा और उन्हें अच्छी पैदावार मिलेगी, ताकि उनकी मेहनत और लगन रंग ला सके।

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