भू विस्थापितों की लंबित मांगों को 5 घंटे रोका कोल परिवहन, बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के साथ 10 दिनों में लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण के आश्वासन पर आंदोलन समाप्त
कोरबा। एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण, बसावट, खमहरिया की जमीन किसानों को वापस करने व प्रभावित गांव में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर भू विस्थापितों ने मोर्चा खोल दिया है। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बैनर तले 5 सूत्रीय मांग को लेकर कुसमुंडा महाप्रबंधक को कुसमुंडा खदान में महाबंद की चेतावनी दी थी। घोषणा अनुसार भू विस्थापितों ने सुबह 5 बजे से कुसमुंडा खदान के अंदर सतर्कता चौक के पास कोयले की गाडिय़ों को रोक दिया। आंदोलन में बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल थे।कुसमुंडा महाप्रबंधक ने बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के साथ 10 दिनों में समस्याओं का निराकरण के आश्वासन दिया। जिसके बाद हड़ताल समाप्त हुआ। सोमवार सुबह लगभग 5 घंटे तक खदान के अंदर सतर्कता चौक में बंद के दौरान कुसमुंडा खदान में कोल परिवहन बंद होने के बाद अधिकारियों में हडक़ंप मच गया। बिलासपुर मुख्यालय से वार्ता के बाद अधिकारियों ने सीएमडी कार्यालय में चर्चा कर तत्काल रोजगार प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन दिया। आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त हुआ। किसान सभा ने ऐलान करते हुए कहा है कि भू विस्थापितों के समस्याओं पर सकारात्मक पहलकदमी नहीं होने पर कोल परिवहन को बार बार बंद किया जाएगा। किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। अब अपने अधिकार को लेने के लिए रोजगार समेत भू विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के लिए एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है। जिससे भू विस्थापितों के सब्र का बांध टूट चुका है।किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया। जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है।
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1126 दिनों से जारी है धरना प्रदर्शन
गत 31अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 1126 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। उनका आंदोलन लगातार जारी है।
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अब उग्र आंदोलन की तैयारी
किसान सभा के सचिव दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढिय़ों से खेती किसानी कर रहे है। उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है। जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है। किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे
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यह है प्रमुख मांगे
0 1978 से 2004 तक अर्जन जमीन पर जल्द रोजगार
0 बिलासपुर मुख्यालय में अटकी फाइल में तत्काल रोजगार
0 अर्जन के बाद जन्म वाले सभी प्रकरणों का निराकरण कर रोजगार
0 पूर्व में अधिग्रहित खमहरिया की जमीन मूल किसानों को वापसी
0 भैसमाखार के विस्थापितों को बसावट देने