मकर संक्रांति पर 19 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, सूर्य का मकर राशि में होगा प्रवेश, मंगल पुष्य योग भी बन रहा
कोरबा। मकर संक्रांति पर्व यानी 14 जनवरी को बेहद शुभ योग बन रहा है। इस दिन भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मंगल पुष्य योग भी बन रहा है। खास बात यह है कि 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जिसमें दान, पुण्य आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य फल मिलता है।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा, जबकि समाप्त शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा। मकर संक्रांति का महापुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ है। इसके अलावा स्नान-दान के लिए मकर संक्रांति का पूरा दिन अच्छा माना जाता है। ग्रहों के राजा सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस बार माघ कृष्ण प्रतिपदा में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 14 जनवरी को प्रात: काल 10 बजकर 17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास का समापन हो जाएगा। इसके बाद मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो जाएगा। भगवान सूर्य 14 जनवरी को प्रात: काल 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर सूर्यदेव की पूजा कर दान-पुण्य करने के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास और इसके पश्चात शनि देव की ही राशि कुंभ में एक मास निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है। मकर संक्रांति को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने दोनों का विशेष महत्व होता है।