महापौर के झूठ का नकाब कोरबा के लोगों के सामने उतर गया-ऋतु
कोरबा। नगर पालिक निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को लेकर ऋतु चौरसिया ने शिकायत की थी। जिस पर जिला स्तरीय छानबीन समिति द्वारा विस्तृत जांच हेतु प्रेषित प्रकरण पर आदिम जाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया है।महापौर चुनाव के वक्त भाजपा से प्रत्याशी रही ऋतु चौरसिया के द्वारा महापौर राजकिशोर प्रसाद के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया था। जिसे सिद्ध करने के लिए भाजपा नेत्री ऋतु चौरसिया को साढे चार साल का वक्त लग गया। ज्ञात रहे कि मार्च 2024 में जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति द्वारा महापौर राज किशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को निलंबित कर विस्तृत जांच हेतु मामला प्रदेश स्तरीय समिति को प्रेषित कर दिया गया था। प्रदेश स्तरीय जांच समिति में भी राज किशोर प्रसाद अपना पक्ष साबित करने में असफल रहे। अंतत: उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के द्वारा महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया है।इस पर मीडिया से चर्चा करते हुए ऋतु चौरसिया ने बताया कि यह सच्चाई की जीत है। आखिरकार महापौर के झूठ का नकाब कोरबा के लोगों के सामने उतर गया है और उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। इतनी लंबी लड़ाई के बाद जीत मिलना यह कोरबा की जनता की जीत है, जो महापौर राजकिशोर प्रसाद के कार्यकाल के दौरान अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के सामने तीन बार उन्हें तथा राजकिशोर प्रसाद को जाति को लेकर अपना पक्ष रखने बुलाया गया था। समिति के द्वारा दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात आखिरकार सत्य की जीत हुई और समिति ने महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने जिला कलेक्टर, उपपुलिस अधीक्षक विजलेंस सेल को निर्देश दिया है।
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महापौर की जाति प्रमाण पत्र निकली फर्जी, सत्य की जीत हुई-हितानंद
निगम नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कहा कि फर्जी महापौर ने पौने पांच साल कोरबा की जनता के साथ छल किया है। साथ ही साथ कोरबा के विकास को अवरूद्ध किया। जिससे कोरबा की जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित रही है। सडक़ो में कमीशन से सडक़ नही गड्डे बनवा दिए हैं,फर्जी महापौर की वजह से जनता को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा है। निश्चित ही जनता का श्राप महापौर को मिला है। हमेशा सत्य की जीत होती है और आज भी सत्य की जीत हुई है। महापौर से सैलरी, मकान, गाड़ी और निगम को हुई नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। उनके उपर न्याय को गुमराह करने की वजह से एएफआई दर्ज होनी चाहिए। ताकि आने वाले समय में दुबारा कोई इस प्रकार से कृत्य करके जनता के पैसों का दुरुपयोग न कर पाएं। राजनीति में इस तरह के फर्जीवाड़े के लिए कोई स्थान नही है। तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा देना चाहिए। और सार्वजनिक रूप से कोरबा की जनता से माफी मांगे।