Tuesday, October 14, 2025

महिला आयोग के तीन सदस्यों ने झूठा आरोप लगाकर की फंसाने की कोशिश, महिला आयोग अध्यक्ष के निज सहायक अभय सिंह का गंभीर आरोप

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महिला आयोग के तीन सदस्यों ने झूठा आरोप लगाकर की फंसाने की कोशिश, महिला आयोग अध्यक्ष के निज सहायक अभय सिंह का गंभीर आरोप

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की तीन सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया एवं सुश्री दीपिका शोरी पर आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के निज सहायक अभय सिंह ने झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है। अभय सिंह ने अपने लिखित शिकायत पत्र में कहा है कि वे पिछले तीन वर्षों से आयोग में ईमानदारी और निष्ठा से कार्यरत हैं, लेकिन कुछ सदस्य लगातार उन्हें अपमानित कर रहे हैं और राजनीतिक दुर्भावना से झूठे प्रकरणों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। अभय सिंह ने बताया कि शुरू से ही सदस्य लक्ष्मी वर्मा और सरला कोसरिया उन्हें डराने और अपमानित करने का प्रयास करती रही हैं। उन्हें बार-बार कहा गया तुम दो कौड़ी के आदमी हो, हमारी औकात में नहीं हो और हमारी सरकार है, जब चाहे झूठे केस में फंसा देंगे। यह भी कहा गया कि यदि वे अध्यक्ष के खिलाफ काम नहीं करेंगे तो उन्हें आयोग से निकाल दिया जाएगा। प्रेस वार्ता में उक्त सदस्यों द्वारा आरोप लगाया गया कि अभय सिंह ने नरीगांव (जिला बेमेतरा) की दो आवेदिकाओं से 25,000 लिए हैं। अभय सिंह ने कहा कि यह आरोप पूर्णतः झूठा और निराधार है क्योंकि आवेदिकाओं का आवेदन आयोग के आवक-जावक रजिस्टर में दर्ज ही नहीं है। उनका कहना है कि यह झूठा आवेदन पूर्व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू द्वारा तैयार किया गया, जो अब बर्खास्त हो चुका है। फर्जी आवेदन में अभय सिंह का नाम बाद में नीचे जोड़ा गया, जिससे यह साफ़ है कि यह पूरा षड्यंत्र राजनीतिक रूप से रचा गया। शिकायत में कहा गया कि उक्त राघवेन्द्र साहू ने सदस्य लक्ष्मी वर्मा के निर्देश पर आवेदिकाओं के फर्जी हस्ताक्षर कर सूचना का अधिकार आवेदन निकाला। बाद में जब आवेदिकाओं को पता चला तो उन्होंने शपथ पत्र देकर बताया कि उन्होंने कोई पैसा नहीं दिया और न ही कोई आवेदन किया था। आरटीआई के स्टाम्प पेपर के पीछे राघवेन्द्र साहू का नाम और हस्ताक्षर भी मौजूद है, जो इस षड्यंत्र का प्रमाण है। अभय सिंह ने बताया कि बाद में आयोग द्वारा जांच कर राघवेन्द्र साहू को नौकरी से हटा दिया गया। तीनों सदस्यों ने अभय सिंह पर आयोग में दादागिरी करने और सुनवाई अपने हिसाब से करवाने का झूठा आरोप प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाया। अभय सिंह का कहना है कि जब उन्होंने भाजपा से जुड़े लोगों के मामलों में पक्षपात का विरोध किया, तभी यह आरोप लगाए गए। उनका कहना है कि सदस्य नहीं चाहते कि भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही हो, चाहे महिला कितनी भी पीड़ित क्यों न हो।अभय सिंह ने कहा कि सदस्यों द्वारा आयोग में लगातार पक्षपात और मनमानी की जा रही है। अध्यक्ष द्वारा जांच समिति बनाने के बावजूद सदस्य वर्मा और कोसरिया आज तक कोरबा नहीं गईं। नारायणपुर प्रकरण: भाजपा पार्षद के खिलाफ महिला को न्याय दिलाने पर सदस्या सरला कोसरिया ने सुनवाई के दौरान ही अध्यक्ष पर सवाल उठाए। भाजपा नेता से संबंधित सबूत पत्र को सदस्या लक्ष्मी वर्मा ने फाइल से निकालकर अपने पास रख लिया, जो आज तक वापस नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान सदस्या सरला कोसरिया ने अनावेदक पक्ष के व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। अभय सिंह ने कहा कि यदि किसी मामले में भाजपा नेता या संगठन जुड़ा होता है तो ये सदस्यगण उसे दबाने की कोशिश करती हैं। अगर हम पीड़ित महिलाओं की मदद करते हैं, तो हमें निशाना बनाया जाता है। अभय सिंह ने बताया कि नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों (20-21 वर्ष) ने राज्यपाल को लिखित शिकायत दी है कि ये तीनों सदस्य बजरंग दल की वकील के रूप में काम कर रही हैं और सुनवाई के दौरान उन्हें ईसाई होने के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।अभय सिंह ने कहा कि तीनों सदस्यों ने सचिव के कक्ष में घुसकर कहा कि सरकार हमारी है, हमारे हिसाब से काम करो वरना ट्रांसफर करवा देंगे।अभय सिंह ने कहा कि मैंने अपने पद की गरिमा और अध्यक्ष के विश्वास के अनुरूप ईमानदारी से कार्य किया है। मुझ पर लगाए गए सभी आरोप झूठे, निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।
इनका उद्देश्य केवल मुझे और आयोग को बदनाम करना तथा भाजपा से जुड़े व्यक्तियों को बचाना है।उन्होंने अध्यक्ष एवं सचिव से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्यवाही करने की मांग की है।

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आयोग के निष्कासित कर्मचारी का संरक्षण

अभय सिंह ने कहा कि बर्खास्त दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू, जिसने आवेदिकाओं के फर्जी हस्ताक्षर किये थे और दस्तावेज गायब किये थे।उसे ये सदस्य लगातार कार्यालय में आने की अनुमति दे रही हैं। यह वही व्यक्ति है जिस पर आरोप है कि उसने राज्यपाल के नाम से आए महत्वपूर्ण पत्र को भी गायब किया।
अभय सिंह ने कहा कि इस कर्मचारी को बचाने के लिए ही उनके खिलाफ झूठे आरोप गढ़े गए।

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