Tuesday, July 8, 2025

माजरा-टोलों के बाशिंदों के नसीब में नहीं रोशनी, अब तक नहीं पहुंच सकी है बिजली

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माजरा-टोलों के बाशिंदों के नसीब में नहीं रोशनी, अब तक नहीं पहुंच सकी है बिजली

कोरबा। दिया तले अंधेरा, यह कहावत प्रदेश की ऊर्जाधानी कोरबा के उन माजरा-टोलों से लिए चरितार्थ हो रही है। जहां अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। सोशल मीडिया वाले इस आधुनिक समय में भी कोरबा जिले के कई गांव ऐसे हैं, जो अब तक बिजली जैसे मूलभूत सुविधा से वंचित है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने जब सुशासन तिहार चलाया तब ऐसे कई मजरा टोला के ग्रामीण जो विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा और अन्य जनजाति से आते हैं। उन्होंने आवेदन करके सरकार को बताया कि हम आज भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। बिजली विभाग ने जब पिछली बार सर्वे किया था। तब ऐसे 124 माजरा-टोलो को चिन्हित किया, जहां तक अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है।
गांव को बिजली देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की अलग-अलग योजनाएं संचालित है। जिसके तहत यदि कोई छोटी आबादी वाला गांव दुर्गम क्षेत्र में मौजूद है। तब भी वहां बिजली पहुंच जानी चाहिए, लेकिन किन्हीं कारणवश, 9 से 10 पावर प्लांट वाले प्रदेश की ऊर्जाधानी कोरबा में, जहां प्रतिमाह 7000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। 400 करोड रूपये का डीएमएफ फंड विकास के लिए मौजूद है। वहां पिछड़ी जनजाति के निवास वाले मजरा टोला में अब तक बिजली नहीं पहुंचाई जा सकी है। कोरबा जिला प्रशासन ने अन्य योजना से फंड नहीं मिलने पर डीएमएफ से इन गांव को विद्युतीकृत करने की योजना भी बनाई है। हालांकि यह सभी गांव डीएमएफ से रोशन होगी या नहीं, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। बिजली विभाग ने सरकार को इन सभी गांव की स्थिति से अवगत करा दिया है।
दुर्गम क्षेत्र में बिजली पहुंचाना चुनौती
कोरबा जिले के लेमरू क्षेत्र कटघोरा से आगे बढऩे पर कई क्षेत्र बेहद दुर्गम हैं। घने वन और वनांचल वाले क्षेत्र में विद्युतीकरण का काम किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके साथ ही जिले के कई अंदरूनी क्षेत्र के गांव हाथियों से प्रभावित हैं। हाथी विचरण क्षेत्र होने के कारण भी विद्युतीकरण के कई कार्य प्रभावित हुए हैं। विभागीय अधिकारी भी मानते हैं कि हाथी प्रभावित क्षेत्र होने के कारण काम करने में समस्या आती है। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार की जो योजनाएं संचालित हैं। उसके अनुसार यदि कहीं 20
परिवार भी निवासरत हैं,तो उस मजरा टोला तक भी बिजली पहुंचानी है। खासतौर से विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवार जहां निवासरत हैं वहां तक बिजली पहुंचाने का प्रावधान है।

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