रक्षाबंधन पर बहनें दिन भर बांध सकेंगी भाइयों को राखी, ना भद्रा का साया ना मुहुर्त का रहेगा चक्कर
कोरबा। सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व भाइयों के दीर्घायु होने व सुख समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए रक्षा सूत्र बांधती है। भाई-बहन के अटूट रिश्ते के रूप में रक्षा बंधन पर्व मनाया जाता है। सावन मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। भाई और बहन के आपसी विश्वास और समर्पण का त्योहार रक्षाबंधन इस बार 9 अगस्त शनिवार को है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है ऐसे में पूरे दिन यह पर्व मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं है। ऐसे में पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा और दिन में कभी भी बहनें अपने भाइयों के रक्षा सूत्र बांध सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार रक्षाबंधन खास और ऐतिहासिक अवसर बनकर आ रहा है। इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि इस विशेष दिन कई ऐसे योग बन रहे हैं जो भाई-बहन के रिश्ते के लिए आशीर्वाद से कम नहीं हैं। इस बार 297 वर्षों बाद एक ऐसे अद्भुत ग्रह संयोग में आ रहा है, जिसने इस पावन दिन की महत्ता को और भी बढ़ा दिया है।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया नहीं रहेगा, यानी बहनें सुबह से लेकर शाम तक कभी भी अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। पिछले तीन वर्षों से भद्रा की वजह से राखी बांधने में देरी होती रही थी, लेकिन इस बार पूरा दिन शुभ और मंगलकारी रहेगा। इस दिन सूर्य और बुध कर्क राशि में होंगे, वहीं चंद्रमा मकर राशि में स्थित होंगे, मंगल कन्या राशि में स्थित होंगे, गुरु और शुक्र मिथुन राशि में स्थित होंगे, राहु कुंभ राशि में होंगे और केतु सिंह राशि में स्थित होंगे। यह योग इस बात का संकेत है कि इसी प्रकार का ज्योतिषीय योग अंतिम बार 1728 में बना था। साथ ही भाग्य की बात यह है कि उस समय भी रक्षाबंधन पर भद्राकाल का प्रभाव नहीं था, और 2025 में भी वैसी ही स्थिति दोहराई जा रही है।इसके अलावा सुबह 5:47 से दोपहर 2:23 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जो इस पर्व को और भी मंगलकारी बना देता है। मान्यता है कि इस विशेष योग में बहनों द्वारा राखी बांधने से भाइयों के जीवन में सौभाग्य, सफलता और समृद्धि का आगमन होता है।