रेलवे की लॉन्ड्री में एआई कैमरे कर रहे गंदगी की जांच
कोरबा। रेलवे बिलासपुर की लॉन्ड्री अब अत्याधुनिक एआई तकनीक से लैस हो गई है, जो रेल के एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को दी जाने वाली चादरों, कंबलों और अन्य कपड़ों से संबंधित शिकायतों को समाप्त करने में मदद कर रही है।रेलवे अफसरों ने बताया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर कोचिंग डिपो में 3 टन क्षमता वाली लॉन्ड्री यूनिट स्थापित की गई है, जहां दो शिफ्टों में 25 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। यहां से प्रतिदिन लगभग 16,000 लिनन सेट लोड किए जाते हैं, जिनमें एसी कोचों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हैंडलूम बेडशीट्स शामिल होते हैं। हर उपयोग के बाद इन्हें धोया जाता है, और फटे-पुराने बेडशीट्स को हटाकर नए बेडशीट्स दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया से सफाई और गुणवत्ता का उच्च स्तर सुनिश्चित होता है। मशीनीकृत लॉन्ड्री में चादरों को कंवेयर सिस्टम पर डाला जाता है, फिर उन्हें डिटेक्शन क्षेत्र से गुजारा जाता है। उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे विस्तृत जांच कर लेते हैं और साफ्टवेयर 100 प्रतिशत सटीकता के साथ दाग और क्षति की पहचान करता है। इसमें डाटा संग्रह की मदद ली जाती है। यह सिस्टम हर चादर पर दाग और क्षति का प्रतिशत रिकार्ड करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यात्रियों को साफ चादर मिलें। इस नई तकनीक के तहत, एआई कैमरे गंदे और फटे बेडरोल को पहचानने में सक्षम हैं और उन्हें स्वत: ही हटा देते हैं। इन एआई कैमरों से हर बेडरोल की जांच की जाती है, और जैसे ही कोई गंदा या फटा चादर सामने आता है, वह पहचानकर उसे अलग कर दिया जाता है। इससे यात्रियों को अब साफ और अच्छे चादर, कंबल मिल रहे हैं और इससे लॉन्ड्री की कार्यप्रणाली भी अधिक प्रभावी हो गई है। यह तकनीक न केवल सफाई के मानकों को बेहतर बनाने में मदद कर रही है, बल्कि यात्री अनुभव को भी सुधार रही है, क्योंकि अब शिकायतों में कमी आई है। रेलवे प्रशासन ने इस पहल को यात्रियों की सुविधा और सफाई में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना है।