Tuesday, October 14, 2025

वयस्कों को भी बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं मिल रही कफ सिरप, मौसमी बीमारियों के सीजन में बढ़ी परेशानी

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वयस्कों को भी बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं मिल रही कफ सिरप, मौसमी बीमारियों के सीजन में बढ़ी परेशानी

कोरबा। मध्यप्रदेश और राजस्थान में जहरीली सिरप पीने से बच्चों की हुई मौत के बाद केन्द्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए बिना डॉक्टरी सलाह दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को खांसी सिरप या सर्दी-जुकाम की दवाइयों की ब्रिकी पर रोक लगा दिया है। जिले में स्वास्थ्य विभाग के मौखिक आदेश का हवाला देकर शहर के बड़े दवा दुकानदारों ने डॉक्टरी सलाह के बिना युवा या बुजुर्गों को सर्दी खांसी की दवाइयों की बिक्री रोक दी है। इससे मरीज परेशान हैं। दवा दुकानों में उनकी तीखी बहस हो रही है। दवा दुकानदारों से कहा गया है कि वे सर्दी खांसी की दवाइयां किसी भी उम्र के लोगों को डॉक्टरी सलाह के बिना नहीं बेचें। स्वास्थ्य विभाग के इस फरमान से वे लोग काफी परेशान हैं, जिन्हें हल्की सर्दी-खांसी है। स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई को एक तरफा और सर्दी खांसी जैसी बीमारी के विपरित मान रहे हैं। इधर दुकानदारों का कहना है कि भारत में ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है जिसमें सर्दी-खांसी की दवाईयां बिना डॉक्टरी सलाह देने पर रोक हो। दो साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह सिरप या सर्दी खांसी की दवाइयों की बिक्री रोके का असर झोला छाप डॉक्टरों पर भी देखा जा रहा है। कागज पर उनके द्वारा लिखी जा रही दवाइयां चुनिंदा दुकानों में ही मिल रही है। इससे बचने के लिए झोलाछाप डॉक्टर अपने जुगाड़ पर दवा मंगाकर अपने मरीजों को उपलब्ध करा रहे हैं। कोरबा में निजी क्लीनिक और अस्पतालों के अलावा कई सरकारी अस्पताल भी हैं। लेकिन सरकारी दवा और डॉक्टरों पर मरीजों का उतना भरोसा नहीं है, जितना निजी प्रेक्टिस करने वालों डॉक्टरों पर।
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दवाई से ज्यादा पड़ रहा परामर्श शुल्क
कोरबा या अन्य उपनगरीय क्षेत्रों में सर्दी खांसी जैसी मौसमी बीमारियों को ठीक करने के लिए लोग पहले दवा दुकानों में पहुंचकर अपने से दवा खरीदते हैं। इन दवाइयों से अक्सर उनकी सर्दी खांसी ठीक हो जाती है। उनका कहना है कि बाजार से 100 से 150 रुपए की दवा लेकर ठीक हो जाते हैं। कई बार स्वयं से खरीदी गई दवा से जब ठीक नहीं होते तो निजी डॉक्टरों से क्लीनिक या अस्पताल में संपर्क करते हैं। डॉक्टर मरीज की लक्षण के आधार पर दवाइयां लिखते हैं। अगर बिना किए जांच दवा लिखते हैं, तो यह दवा 100 से 200 रुपए तक मिल जाती है। अभी कोरबा में अधिकांश डॉक्टरों की परामर्श शुल्क 300 से भी अधिक है। गरीब मरीजों के लिए यहीं चिंता का कारण है। जितने की दवा नहीं है, उससे अधिक डॉक्टरों का परामर्श शुल्क हो रहा है।

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