सक्षम समूहों से अनुबंध के बाद भी नहीं लगी यूनिट, 1 अक्टूबर तक की चेतावनी का भी असर नहीं
कोरबा। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषित होने वाले बच्चों व महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण पूर्ण पोषण आहार समय पर मिले, इसके लिए बदलाव किया गया था। बदलाव के तहत इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के 6 जिलों में शुरू किया गया। इसमें एक कोरबा जिला भी शामिल है। यह काम वापस महिला समूहों को सौंपने के पीछे उन्हें सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करना था। कोरबा जिले में 2589 आंगनबाड़ी केन्द्र 10 परियोजनाओं में संचालित हैं। सभी परियोजनाओं में एक-एक यूनिट स्थापित करने की प्रक्रिया वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही शुरू की है। सक्षम समूहों से अनुबंध भी हो चुका है, पर यूनिट नहीं लग पाई है। महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ ने अनुबंधित सक्षम समूहों को चेतावनी दी थी। इसके अनुसार सभी समूहों को 1 अक्टूबर तक हर हाल में अपने अपने परियोजना में यूनिट लगानी थी, लेकिन इस चेतावनी का भी असर नहीं दिख रहा है, क्योंकि किसी भी परियोजना में यह यूनिट नहीं लग पाई है, जिससे कि वहां रेडी टू ईट का उत्पादन हो और क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों में वितरण किया जा सके। हालांकि चेतावनी में ठेका निरस्त करने की भी बात कही थी। अब देखना होगा कि विभाग इसकी कार्रवाई कर पाता भी है या नहीं। जिन समूहों को काम मिला है, उनकी ओर से अब यह कहा जाने लगा है कि रेडी टू ईट उत्पादन के लिए जो राशि पहले खर्च करनी है, उसकी भरपाई वे शायद ही कर पाएंगे। प्रदेश में नई सरकार को आए नवंबर में दो साल हो जाएंगे। कार्यकाल 3 साल और शेष है। ठेका लेने वाले समूहों में यह संशय बना हुआ है कि कहीं प्रदेश में सरकार बदल गई और नई सरकार ने फिर कोई बदलाव किया तो वे जमीन पर आ जाएंगे, क्योंकि यूनिट की स्थापना में ही 40 लाख से अधिक की राशि खर्च होनी है। कुछ समूह तो यूनिट लगाने डीएमएफ से राशि तक मांगने लगे हैं।
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