Friday, November 22, 2024

सावन में लगी आंदोलनों की झड़ी, अब संयुक्त मोर्चा ने भरी हुंकार, नारों से गूंजा तानसेन आईटीआई चौक, स्वास्थ्य, संविदा कर्मी, एनटीपीसी प्रभावित कर रहें हैं आंदोलन

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सावन में लगी आंदोलनों की झड़ी, अब संयुक्त मोर्चा ने भरी हुंकार, नारों से गूंजा तानसेन आईटीआई चौक, स्वास्थ्य, संविदा कर्मी, एनटीपीसी प्रभावित कर रहें हैं आंदोलन

कोरबा। प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन की बाढ़ आ गई है। सावन में आंदोलनों की झड़ी लग गई है। 24 सूत्रीय मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर हैं, संविदा कर्मी नियमितीकरण की मांग को लेकर हुंकार भर रहे हैं। एनटीपीसी प्रभावित चारपारा निवासी अपना हक पाने लड़ाई लड़ रहे हैं। अब अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा भी आंदोलन में कूद गया है। आंदोलनों के कारण आईटीआई तानसेन चौक शासन प्रशासन के खिलाफ नारों से गूंज रहा है।
शुक्रवार को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने एक दिवसीय प्रांतव्यापी काम बंद हड़ताल किया। उनकी मांगों में सातवें वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा भत्ता दिया जाये। केन्द्रीय कर्मचारियों के समान देय तिथि से मंहगाई भत्ता दिया जाये। सामान्य प्रशासन विभाग एवं पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाये। कांग्रेस पार्टी के जन घोषणा पत्रानुसार चार स्तरीय वेतनमान लागू किया जाये। अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित करने / प्रथम नियुक्ति विधि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन का लाभ / पूर्ण पेंशन का लाभ अहर्तादायी सेवा 33 के स्थान पर 25 वर्ष किया जाये। उक्त मांगों को लेकर छ.ग. कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि शासन प्रदेश के कर्मचारियों की जायज मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं ले रहा है इस वजह से राज्य भर में शासन के विरोध में धरना प्रदर्शन कर ध्यानाकर्षण कराया जा रहा है। तान सेन चौक में उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की।

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बारिश के बाद भी 5वें दिन आंदोलन में डटे रहे संविदाकर्मी

विगत 3 जुलाई से संविदा कर्मचारी के साथ जिले के 33 विभाग के कर्मी भी हड़ताल पर हैं।आईटीआई चौक पर 5 दिवसीय धरना के बाद रायपुर में जाकर के आंदोलन करेंगे। नाराज प्रदेश के 54 विभागों के कार्यरत संविदा कर्मचारी 33 जिलों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल पंडाल पर हम शर्मिदा हैं , नियमितिकरण का वादा अधूरा है के जोरदार नारे लगाए जा रहे हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार ने हम संविदा कर्मचारियों से 2018 के चुनाव के जनघोषण पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में नियमितिकरण का वादा किया था । परन्तु सरकार द्वारा 4 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी वादा कर पूरा न करना यह गैर लोकतांत्रिक हैं। सरकार आने वाले अनुपूरक बजट में शामिल कर प्रदेश के समस्त संविदा कर्मचारियों को नियमित कर अपना वादा पूरा करे।साढ़े चार साल में सरकार की तरफ से संवादहीनता की स्थिति है । रथयात्रा में 33 जिला कलेक्टर को और कई कांग्रेस मंत्रीगण , विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद भी संवाद कायम नहीं किया गया यह लोकतंत्र में चिंताजनक एवं दुखद है। सरकार के खिलाफ कर्मचारियों में बेहद आक्रोश व्याप्त है। एकत्रित संविदा कर्मियों की भीड़ 2024 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी यह तय करेगी। इस सरकार को सचेत होना चाहिए । विगत साढ़े 04 वर्षों से विभिन्न आवेदन, निवेदन व मुलाकात के माध्यम से सरकार को संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग से अवगत करवाते रहे हैं। किंतु सरकार के द्वारा इस मांग पर कोई विचार नहीं किया गया, बल्कि सरकार के द्वारा संवादहीनता की स्थिति बनी हुई हैं। ऐसा लग रहा है मानो सरकार स्वयं संविदा कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन आंदोलन के लिए विवश कर रहे हैं। आंदोलनरत जारी रहने से स्वास्थ्य, पंचायत, शिक्षा, महिला बाल विकास विभाग, कृषि विभाग, कलेक्टर कार्यालय आदि में काफी प्रभाव पड़ रहा है।

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स्वास्थ्य कर्मियों ने आंदोलन स्थल पर की बीपी शुगर जांच

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने 4 जुलाई से अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आंदोलन के चौथे दिन स्वास्थ्य कर्मियों ने विरोध स्वरूप धरना स्थल पर लोगों की बीपी शुगर जांच की। प्रदेश भर के स्वास्थ्य कर्मचारी आंदोलन का हिस्सा हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, चिकित्सा शिक्षा, आयुष संचनालय द्वारा शासन के निर्देश पर स्टाफ नर्स, सिस्टर ट्यूटर, उप नर्सिंग अधीक्षक सहित अन्य कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर किया जाए। विसंगति का निवारण कर विभिन्न भत्तों को केन्द्र के समान प्रदान किया जाए। वर्तमान में की जा रही नियमित भर्तियों के पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, आयुष विभाग, जीवनदीप समिति व डीएमएफ अंतर्गत कार्यरत सभी संविदा व अनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जाए। उसके बाद भी नियमित भर्ती हो। समान कार्य पर समान वेतन भत्ता व सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष की जाए। स्वास्थ्य कर्मचारियों को पुलिस विभाग की तरह एक वर्ष में 13 माह का वेतन प्रदान किया जाए। स्वास्थ्य कर्मचारियों को 4 स्तरीय वेतनमान तथा एकल पद के तकनीकी पदों के लिए 4 स्तरीय पदोन्नति चैनल बनाया जाए। डिप्लोमाधारी स्टाफ नर्स को 3 वेतन वृद्धि व डिग्रीधारक स्टाफ नर्स को 4 वेतन वृद्धि का लाभ वर्ष 1985 से दिया जा रहा है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में मिल रहा है। इसे विगत कुछ वर्षों से छत्तीसगढ़ में नहीं दिया जा रहा है। अब वसूली की जा रही है। स्वास्थ्य कर्मियों ने इस वसूली पर रोक लगाते हुए वेतन वृद्धि लाभ को समस्त स्टाफ नर्स के लिए निरंतर रखने की मांग की है। इसके अलावा स्थानांतरण, आवास, अवकाश, निलंबन, समयमान वेतन, पदोन्नति, प्रोत्साहन पुरस्कार, कोरोना प्रोत्साहन राशि सहित अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की है।

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एनटीपीसी प्रभावितों का आंदोलन जारी

जमीन अधिग्रहण के समय में नौकरी व शेष बचे हुए जमीन की मुआवजा व क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर ग्राम चारपारा के छह भू-विस्थापित लगातार आंदोलन कर रहे हैं। 2 माह से अधिक समय से धरना दिया जा रहा है, पर अभी तक एनटीपीसी प्रबंधन ने समस्या का निदान नहीं किया है। उनका कहना है कि जब तक प्रभावितों को नौकरी नहीं मिलेगी तब तक आंदोलन चलता रहेगा। आइटीआई तानसेन चौक में धरना दे रहे भू- विस्थापित राजन पटेल, विनय कुमार कैवर्त, रामकृष्ण केवट, गणेश कुमार केवट, राकेश कुमार केवट व घसिया राम केवट का कहना है कि जिला प्रशासन व एनटीपीसी द्वारा कोई भी प्रकार की पहल नही की गई। इसलिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। एनटीपीसी कोरबा द्वारा सन् 1978-79 में ग्राम चारपारा, गेरवा, दर्रीखार, नगोईखार टांगामार गांवो की जमीन में 2100 मेगावाट विद्युत ताप परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई थी, जिसमें ग्राम चारपारा व गेरवा, संपूर्ण भू-विस्थापित ग्राम है। अधिग्रहण के समय शासन की अधिसूचना में दर्शित भूमि व रकबे के आधार पर उन्हें भूमि का मुआवजा स्वीकृत किया जाए एवं अधिसूचित रकबे से अधिक भूमि पर संबंधित संस्थान द्वारा कब्जा न लिया जाए। ग्राम चारपारा की संपूर्ण जमीन लगभग 950 एकड़ थी।

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