हरि सिंह ने जनजातीय परंपराओं को सहेजने का उठाया बीड़ा, सूप में उकेर रहे सुंदर कलाकृति
कोरबा। जिले में कला, संस्कृति और सामाजिक सरोकार का एक अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। यहां के निवासी हरि सिंह क्षत्रिय ने अपनी अद्भुत चित्रकला के माध्यम से न केवल जनजातीय परंपराओं को सहेजने का बीड़ा उठाया है, बल्कि सीधे-सीधे स्थानीय बांस कारीगरों को आर्थिक संबल भी प्रदान कर रहे हैं। उनका यह शौक लोगों को तब अचंभित कर देता है, जब वे देखते हैं कि हरि सिंह बांस के बने साधारण सूप (अनाज फटकने में प्रयुक्त होने वाली पारंपरिक टोकरी) पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। हरि सिंह क्षत्रिय का यह अनूठा शौक बांस से जीवन-यापन करने वाले बसोड़ और पंडो जैसी जनजातियों की परंपरा को विलुप्त होने से बचाने की सोच से उपजा है। उनका मानना है कि आधुनिकता की दौड़ में इन कलाओं और इनसे जुड़े लोगों का अस्तित्व खतरे में है और यदि इन्हें सहेजा नहीं गया, तो ये सदियों पुरानी परंपराएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी। इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए हरि सिंह ने एक गजब का तरीका अपनाया है। अपनी इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए हरि सिंह अपनी जेब से बांस के बने सूप खरीदते हैं। इसके बाद वे इन सूपों को अपनी सुंदर और बारीक चित्रकारी से जीवंत कर देते हैं। उनके चित्रों में प्रकृति, संस्कृति, सामाजिक संदेश और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों की आकृतियां शामिल होती हैं। हरि सिंह की ये कलाकृतियां इतनी आकर्षक होती हैं कि इन्हें देखकर हर कोई स्तब्ध रह जाता है। उन्होंने अब तक हजारों की संख्या में ऐसे कलात्मक सूप तैयार किए हैं, जो उनकी रचनात्मकता और समर्पण का प्रमाण हैं।