Friday, November 22, 2024

24 साल बाद बन रहा संयोग, अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहुर्त नहीं, शुक्र और गुरु अस्त, शुभ संस्कार होंगे संपन्न

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24 साल बाद बन रहा संयोग, अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहुर्त नहीं, शुक्र और गुरु अस्त, शुभ संस्कार होंगे संपन्न

कोरबा। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 10 मई को आ रही है। अक्षत तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह की मान्यता है। इस बार अक्षय तृतीया के दिन गुरु व शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। विवाह के शुद्ध व शुभ मुहूर्त के लिए जुलाई तक इंतजार करना होगा। विवाह के लिए गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है। इन दोनों में से किसी एक के भी अस्त रहने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी युवक-युवतियों का विवाह कराया जाता है।लेकिन इसके लिए भी गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना जरुरी है।बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। लगभग 24 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं है। हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे।ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि खास बात यह है कि जो लोग गर्मी के मौसम में विवाह करने की सोच रहे हैं, उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। इसकी वजह इन दोनों माह में शुक्र ग्रह का अस्त होना है।इसके उदित होने के बाद जुलाई में ही मुहूर्त शुरू होंगे। 24 वर्ष बाद मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा। शुक्र उदित होने के बाद जुलाई में ही विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। ऐसी स्थिति वर्ष 2000 में भी बनी थी, तब भी मई और जून में कोई विवाह मुहूर्त नहीं था। अक्षय तृतीया पर गुरु तारा अस्त रहेगा। इससे पहले सन 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार 29 अप्रैल से 28 जून तक शुक्र तारा अस्त रहेगा। इसी बीच गुरु तारा 6 मई से 3 जून तक अस्त रहेगा। गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे। स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है अक्षय तृतीया ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण. घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं ऐसी मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य,पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता।

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